ऐसे कुयोग में भूलकर भी न करें कोई शुभ काम वरना होगी मुसीबत
नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में अनेक शुभ-अशुभ योगों का वर्णन मिलता है। आमतौर पर व्यक्ति शुभ योगों के बारे में जानने को उत्साहित रहता है, लेकिन अशुभ योगों को अनदेखा करता है। जबकि शुभ से ज्यादा अशुभ योगों के बारे में जानना चाहिए ताकि कोई संकट आने से पहले उसका उचित उपचार किया जा सके। ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे योग होते हैं जिन्हें कुयोग कहा गया है। इन योगों में यदि कोई शुभ काम प्रारंभ किया जाए तो वह कभी सफल नहीं होता। ये कुयोग नक्षत्र, योग, तिथि, करण, वार आदि से मिलकर बनते हैं। आम लोगों को जानकारी नहीं होती है कि कौन से दिन कौन सा कुयोग बना हुआ है और वे काम शुरू कर देते हैं और बाद में जब वह सफल नहीं होता तो निराशा हाथ लगती है।
आइए आज जानते हैं कुछ ऐसे ही कुयोगों के बारे में....
ज्योतिष का चर्चित कुयोग....
- यमघंट : यह ज्योतिष का चर्चित कुयोग है, यह कुयोग तब बनता है जब रविवार को मघा, सोमवार को विशाखा, मंगलवार को आर्द्रा, बुधवार को मूल, गुरुवार को कृतिका, शुक्रवार को रोहिणी और शनिवार को हस्त नक्षत्र हो। इस कुयोग में प्रारंभ किया गया शुभ कार्य कभी सफल नहीं होता, उल्टा नुकसान उठाना पड़ता है। इस योग में यात्रा करना सख्ती से वर्जित माना गया है।
- दग्ध : ज्योतिष में दग्ध योग की भी अक्सर चर्चा होती है। यह कुयोग तब बनता है जब रविवार को भरणी, सोमवार को चित्रा, मंगलवार को उत्तराषाढ़ा, बुधवार को धनिष्ठा, गुरुवार को उत्तराफाल्गुनी, शुक्रवार को ज्येष्ठा और शनिवार को रेवती नक्षत्र हो। यह कुयोग जिस दिन हो उस दिन वह नक्षत्र दग्ध हो जाता है। इसमें प्रारंभ किया गया कार्य पूर्ण होने से पहले ही समाप्त हो जाता है।
- मूसल : मूसल नामक कुयोग में जो भी कार्य किया जाए उसमें धन की भयंकर हानि होती है। यह कुयोग तब बनता है जब रविवार को अभिजीत, सोमवार को पूर्वाभाद्रपद, मंगलवार को भरणी, बुधवार को आर्द्रा, गुरुवार को मघा, शुक्रवार को चित्रा और शनिवार को ज्येष्ठा नक्षत्र हो।
- मूसल : मूसल नामक कुयोग में जो भी कार्य किया जाए उसमें धन की भयंकर हानि होती है। यह कुयोग तब बनता है जब रविवार को अभिजीत, सोमवार को पूर्वाभाद्रपद, मंगलवार को भरणी, बुधवार को आर्द्रा, गुरुवार को मघा, शुक्रवार को चित्रा और शनिवार को ज्येष्ठा नक्षत्र हो।
- कालदंड : माना जाता है कि इस कुयोग में जिस व्यक्ति को रोग लगता है, वह कभी ठीक नहीं होता और पीड़ित को मृत्युतुल्य कष्ट भोगना पड़ता है। यह कुयोग रविवार को भरणी, सोमवार को आर्द्रा, मंगलवार को मघा, बुधवार को चित्रा, गुरुवार को ज्येष्ठ, शुक्रवार को अभिजीत और शनिवार को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र होने पर बनता है।
- वज्र : इस कुयोग में जो व्यक्ति यात्रा करता है उसके दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका रहती है। इसमें यदि कोई व्यापार शुरू किया जाए तो उसे जल्द ही बंद करना पड़ता है। यह कुयोग रविवार को आश्लेषा, सोमवार को हस्त, मंगलवार को अनुराधा, बुधवार को उत्तराषाढ़ा, गुरुवार को शतभिषा, शुक्रवार को अश्विनी और शनिवार को मृगशिरा नक्षत्र होने पर बनता है।
- यमदंष्ट्र : रविवार को मघा या धनिष्ठा, सोमवार को विशाखा या मूल, मंगलवार को भरणी या कृतिका, बुधवार को पुनर्वसु या रेवती, गुरुवार को अश्विनी या उत्तराषाढ़ा, शुक्रवार को रोहिणी या अनुराधा और शनिवार को श्रवण या शतभिषा नक्षत्र होने पर यमदंष्ट्र कुयोग का निर्माण होता है। यह असफलता दिलाने वाला कुयोग है।
धन की भयंकर हानि
हमेश नुकसान ही होता है
कुयोग में किसी से उधार नहीं लेना चाहिए
लुम्बक : इस कुयोग में किसी को न तो पैसा उधार देना चाहिए और न उधार लेना चाहिए। यदि कर्ज लेता है तो वह बढ़ता जाता है। यह कुयोग तब बनता है जब रविवार को स्वाति, सोमवार को मूल, मंगलवार को श्रवण, बुधवार को उत्तराभाद्रपद, गुरुवार को कृतिका, शुक्रवार को पुनर्वसु और शनिवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र हो।
इनके अलावा भी कई कुयोगों का जिक्र ज्योतिष में मिलता है।
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