प्राथमिकताएं निर्धारित करने से होगा जीवन सुखी
नई दिल्ली। संसार का निर्माण सुख प्राप्ति के निमित्त ही हुआ है। इसी क्रम में पारिवारिक व्यवस्था का जन्म हुआ, ताकि मनुष्य अपनों के साथ सुखपूर्वक रह सके और जीवन का भरपूर आनंद उठा सके। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति अपने परिवार से ही दूर हो रहा है। लोगों के पास अपने परिवार के लिए, स्वयं अपने लिए समय नहीं है। एक अंधी दौड़ और आपाधापी सी सर्वत्र व्याप्त हो गई है। आज जिससे मिलो, यही सुनने को मिलता है कि भैया, समय नहीं है, क्या करें?
भाई, समय क्यों नहीं है? समय तो सभी के लिए एक समान है। सभी को दिन के 24 घंटे ही मिलते हैं। कोई इसी व्यवस्था में बीसियों काम निपटा लेता है, तो किसी के पास अपने आवश्यक कामों के लिए भी समय कम पड़ता है। ऐसा क्यों होता है? बड़ी सीधी सी बात है, इसे व्यवस्था या समय प्रबंधन की कमी कह सकते हैं। इस कमी को दूर करने का एक ही तरीका है, जीवन की प्राथमिकताएं तय करना। इसका अर्थ यह है कि जीवन में उन कामों, उन चीजों को अधिक महत्व देना, जो आपके जीवन, आपके सुख के लिए अधिक आवश्यक हैं। यह कैसे किया जा सकता है, इस कहानी से समझते हैं-
कंकड़ भी उस जार में समा गए
एक बार की बात है। मनोविज्ञान के प्रोफेसर अपने साथ कुछ सामान लेकर कक्षा में आए। उस सामान में कांच का एक जार, कुछ बड़े पत्थर, कुछ छोटे कंकड़ और रेत थे। जार को टेबल पर रख कर प्रोफेसर साहब ने उसमें बड़े पत्थर भर दिए और विद्यार्थियों से पूछा- क्या यह जार भर गया? सभी ने एक सुर में जवाब दिया- हां। इसके बाद प्रोफेसर साहब ने उस जार में कंकड़ डाले। कंकड भी उस जार में समा गए। अब एक बार फिर उन्होंने पूछा- क्या जार पूरा भर गया? एक बार फिर पूरी कक्षा ने जवाब दिया- हां सर। उसके बाद सर ने उस जार में रेत भर दी। जार अब पूरी तरह भर चुका था। अब प्रोफेसर साहब ने समझाया कि हमारी जिंदगी भी इस जार की तरह है दोस्तों। आज के इस प्रयोग में जीवन का सार समाया हुआ है। मेरे पास कई लोग समय की कमी की शिकायत लेकर आते हैं। पर बच्चों, समय तो सबके लिए एक सा और उतना ही है, उसे बढ़ाया घटाया नहीं जा सकता। बेहतर होगा कि समय के अनुरूप जीवन का प्रबंधन किया जाए। यह कैसे होगा, इस प्रयोग से समझो।
परिवार, जीवनसाथी, स्वास्थ्य और बच्चे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण
इस जार में भरे हुए बड़े पत्थर हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों के लिए हैं यानि हमारा परिवार, जीवनसाथी, स्वास्थ्य और हमारे बच्चे। इनके बिना जीवन कुछ भी नहीं है इसीलिए इन्हें सबसे ज्यादा समय और महत्व दिया जाना चाहिए। जार में डाले हुए कंकड़ जीवन के दूसरे महत्वपूर्ण पहलुओं के लिए है, जिनमें हमारी जॉब, हमारे शौक शामिल हैं। जीवन में इनका भी बहुत महत्व है, लेकिन इनमें बदलाव से जिंदगी खत्म नहीं होती। ये रहें या ना रहें, समय के साथ बदल जाएं, पर जीवन चलता रहता है। इसके बाद की सारी चीजें रेत की तरह हैं। उनके लिए आपके पास समय हो, तो करें, नहीं तो छोड़ दें। यदि आपने इस जार के हिसाब से अपना जीवन व्यवस्थित कर लिया, तो विश्वास मानिए, आप अपने जीवन को सुखमय बनाने और उसका भरपूर आनंद उठाने में सक्षम होंगे।
आपको मानसिक शांति भी मिलेगी...
तो देखा आपने। प्रोफेसर साहब ने कितने आसान प्रयोग से जीवन दर्शन का एक कठिन अध्याय समझा दिया। आप भी इस प्रयोग को अपने जीवन में उतारें और आप पाएंगे कि जीवन की सारी अव्यवस्थाएं दूर हो गई हैं। इससे आपको मानसिक शांति भी मिलेगी और आप सुखी परिवार के साथ जीवन का भरपूर आनंद ले पाएंगे।
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