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Lehsunia stone: लहसुनिया कब और किन्हें करना चाहिए धारण, क्या है नियम?

By Gajendra Sharma
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नई दिल्ली, 20 जुलाई। केतु ग्रह का रत्न होता है लहसुनिया। इसे वैदूर्य, वैदूर्य मणि या कैट्स आई भी कहते हैं। जन्मकुंडली में केतु की अशुभ अवस्था में इसके रत्न लहसुनिया को पहना जाता है। केतु तमोगुणी तथा अग्नितत्व वाला ग्रह होता है। जन्मकुंडली में केतु की खराब अवस्था के कारण जातक के जीवन में अनेक परेशानियां आती हैं। कार्य में अस्थिरता, मन विचलित रहना, आर्थिक-मानसिक परेशानियां जैसे अनेक प्रभाव देखने को मिलते हैं। इनकी शांति के लिए केतु के रत्न लहसुनिया को धारण किया जाता है।

लहसुनिया कब और किन्हें करना चाहिए धारण, क्या है नियम?

लहसुनिया का रोगों में उपयोग

लहसुनिया का उपयोग अनेक प्रकार के रोगों के उपचार में भी किया जाता है। इसके कुछ विचित्र प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। बच्चों के गले में लहसुनिया पहनाने से श्वास, कास, निमोनिया आदि के रोग दूर होते हैं। जिस स्त्री का प्रसव होने वाला हो उसके सिर के बालों में लहसुनिया बांध देने से प्रसव शीघ्र हो जाता है। पीलिया रोग में लहसुनिया पहनने से रोग शीघ्र दूर होता है। योग्य वैद्यराज की सलाह अनुसार लहसुनिया की भस्म लेने से बुद्धि का विकास होता है, स्मरण शक्ति उत्तम होती है, शरीर में बल वृद्धि होती है। इसकी भस्म भूख बढ़ाती है और आंतों को साफ रखती है। केतु खराब हो तो आकस्मिक घटनाएं होती हैं और जातक को संक्रामक रोग घेर लेते हैं।

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केतु की अशुभ स्थितियां

  • ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार लहसुनिया धारण करने से केतु के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।
  • जन्मकुंडली में केतु यदि शनि के साथ लग्न या पंचम भाव में हो तो अशुभफल देता है।
  • केतु यदि शुक्र के साथ वृषभ या मिथुन राशि में कहीं बैठा हो तो अशुभफलकारी होता है।
  • यदि केतु सूर्य के साथ या जन्मांग में सातवें या आठवें भाव में बैठा है तो दुष्प्रभाव देता है।
  • शत्रु क्षेत्री केतु मेष, कर्क, सिंह या वृश्चिक राशि का होकर द्वितीय, तृतीय, पंचम, सप्तम भावों में शनि से युक्त हो तथा सूर्य की उस पर दृष्टि हो तो इन सब स्थितियों में उसकी दशा-अंतर्दशाओं के अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • गोचर में केतु 4, 8, 12वें भाव में हो तो लहसुनिया धारण करना चाहिए।

लहसुनिया धारण विधि

सवा रत्ती का लहसुनिया चांदी की अंगूठी अथवा लाकेट में शनिवार को पहनना चाहिए। लहसुनिया मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है। दूसरे मत के अनुसार विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन 7, 8 या 12 रत्ती का लहसुनिया मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है। धारण करने से पहले इसे गंगाजल से धोकर शुद्ध कर लें। धूप-दीप करके केतु मंत्र ऊं क्लां क्लीं क्लूं स: केतवे स्वाहा: का एक माला जाप करें।

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English summary
Gemstones Lehsunia or Beryl is believed to bring good luck. here is its Benefits and wearing rules.
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