अगर आपकी कुंडली में है ये योग तो मतलब इसका पैसे से है...
नई दिल्ली। जीवन में प्रत्येक व्यक्ति की यह ख्वाहिश होती है कि वह खूब धन संपदा अर्जित करे ताकि वह सुख से जीवन बिता सके और समस्त भौतिक सुखों का भोग कर सके। लेकिन हम देखते हैं कि कई लोगों का पूरा जीवन बीत जाता है मेहनत करते हुए लेकिन वे कुछ खास हासिल नहीं कर पाते। जबकि कुछ लोगों को अचानक कहीं से धन प्राप्त हो जाता है और वे अमीर बन जाते हैं।
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दरअसल यह सब व्यक्ति की जन्मकुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है कि उसे धन कितना, कब, कैसे और किस माध्यम के जरिए मिलेगा। आइये आज मैं इस लेख में आपको बता रहा हूं जन्मकुंडली में मौजूद आकस्मिक धन प्राप्ति योग के बारे में। आधुनिक युग में देखा जाए तो आकस्मिक धन प्राप्ति को लॉटरी से जोड़कर देखा जाता है। ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में अकस्मात धन प्राप्ति के अनेक योगों का वर्णन मिलता है। यदि किसी की कुंडली में इनमें से कोई योग हो तो उसकी लॉटरी निकलने की पूरी संभावना होती है।
कुंडली में द्वितीय स्थान को धन स्थान कहा गया है। इस भाव का स्वामी द्वितीयेश कहलाता है। साथ ही ग्यारहवां भाव यानी आय स्थान भी महत्वपूर्ण होता है। दूसरे और 11वें भाव का कारक ग्रह बृहस्पति है। साथ ही आकस्मिक धन प्रदान करने वाले ग्रह राहु और केतु हैं। यदि कुंडली के द्वितीय, एकादश, गुरु, राहु और केतू अच्छी स्थिति में है तो अचानक कहीं से धन मिलता है।
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कुछ प्रमुख योग इस प्रकार हैं :-
- लग्न यानी प्रथम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में और द्वितीय भाव का स्वामी प्रथम भाव में हो तो अचानक खूब सारा स्वर्ण प्राप्त होता है।
- चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें, 11वें स्थानों में बुध, गुरु, शुक्र या चंद्र हो।
- नवम भाव में राहु हो तथा नवम भाव का स्वामी बलवान हो।
- कुंडली के पंचम स्थान में चंद्र एवं मंगल हो तथा पंचम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो।
- गुरु नवम भाव में कर्क या धनु राशि का हो तथा मकर राशि का मंगल चंद्रमा के साथ दसवें घर में बैठा हो।
- मेष लग्न की कुंडली में चौथे भाव में गुरु, सातवें भाव में शनि तथा आठवें भाव में शुक्र हो तथा कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र-मंगल एक साथ बैठे हों तो आकस्मिक रूप से धन प्राप्त होता है।