जानिए कुंडली से... क्यों होता है कोई अमीर और कोई गरीब?
क्यों तमाम प्रयासों के बावजूद पैसा हमसे दूर भागता है, लक्ष्मी हमसे रूठी ही रहती है। वास्तव में इसका जवाब छिपा है आपकी कुंडली में।
नई दिल्ली। आर्थिक विषमता हमारे समाज की एक गहरी सच्चाई है। समाज का एक वर्ग इतनी धन संपदा का मालिक है कि उसके ऐशो आराम का कोई अंत नहीं है। वहीं दूसरी ओर एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो दिन रात पसीना बहाने के बावजूद दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है। इन सबके बीच सबसे बड़ा मध्यम वर्ग है, जिसकी स्थिति सबसे बदतर है।
कर्ज से मुक्ति चाहते हैं तो इस दिन ना लें उधार
यह वर्ग आर्थिक स्थिति सुदृढ़ ना होते हुए भी समाज में एक सम्मानजनक जीवन बिताने के लिए दिन रात जुगाड़ कर किसी तरह दिन काट रहा है। ऐसी स्थिति में कठिन जीवन बिताते हुए अक्सर सभी के मन में यह बात कभी ना कभी आती है कि हमारे साथ ही ऐसा क्यों होता है। क्यों तमाम प्रयासों के बावजूद पैसा हमसे दूर भागता है, लक्ष्मी हमसे रूठी ही रहती है। वास्तव में इसका जवाब छिपा है आपकी कुंडली में।
आर्थिक स्थिति
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार व्यक्ति की आर्थिक स्थिति उसकी कुंडली के घरों में विराजमान ग्रहों के स्थान पर निर्भर करती है। अगर आपके ग्रह मित्रवत हैं, कृपालु हैं, तो मिट्टी भी हाथ लगाते ही सोना बन जाती है, लेकिन अगर ग्रह विपरीत हैं, अप्रसन्न हैं, तो बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं। जिनके ग्रह अनुकूल हैं, वे सफलता की सीढि़यां चढ़ते जाते हैं और दुनिया उन्हें देखकर आहें भरती है। इसके विपरीत ग्रहों की मार झेल रहे व्यक्ति हर कदम पर मात खाते हैं। कई बार तो ऐसी स्थिति आती है कि शुरू किया हर काम इस कदर लगातार बिगड़ता जाता है कि व्यक्ति का आत्मविश्वास ही खत्म हो जाता है। निराशा में डूबा व्यक्ति परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाता और जीवन से हार बैठता है। भारत में कर्ज में डूबकर जान दे रहे किसानों की लगातार आ रही खबरें इसी का उदाहरण हैं।
सोना-चांदी, हीरे जवाहरात
इन
स्थिति
को
देखते
हुए
जानते
हैं
कुंडली
में
ग्रहों
की
उन
दशाओं
का,
जो
बनाती
हैं
किसी
को
अमीर,
किसी
को
गरीब।
ज्योतिष
विज्ञान
के
अनुसार
जन्म
कुंडली
का
दूसरा
घर
या
भाव
धन
का
होता
है।
इस
भाव
से
धन,
खजाना,
सोना-चांदी,
हीरे
जवाहरात
आदि
बातों
पर
विचार
किया
जाता
है।
इससे
यह
भी
पता
चलता
है
कि
व्यक्ति
के
पास
कितनी
स्थायी
संपत्ति
रहेगी।
इस
भाव
से
जुड़े
कुछ
योग
निम्नानुसार
हैं-
- जिस व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव पर शुभ ग्रह स्थित हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो ऐसे व्यक्ति को बहुत धन प्राप्त हो सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के द्वितीय भाव में बुध हो तथा उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो, तो वह व्यक्ति हमेशा गरीब रह��ा है। ऐसे लोग कठिन प्रयास करने के बाद भी धन एकत्र नहीं कर पाते हैं।
- यदि कुंडली के द्वितीय भाव में किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो, तभी वह व्यक्ति धनहीन हो सकता है। ये लोग कड़ी मेहनत के बाद भी धन की कमी का सामना करते हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव में चंद्रमा स्थित हो, तो वह बहुत धनवान होता है। उसके जीवन में इतना धन होता है कि उसे किसी भी सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए अधिक प्रयास नहीं करना पड़ता है। ऐसा व्यक्ति विदेश यात्राओं से धन अर्जित करता है।
- यदि जन्म कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित हो और उस पर नीच के बुध की दृष्टि पड़ जाए तो उस व्यक्ति के परिवार का पुश्तैनी धन भी समाप्त हो जाता है। ऐसा व्यक्ति दुर्व्यसनी होता है।
- यदि कुंडली में चंद्रमा अकेला हो तथा कोई भी ग्रह उससे द्वितीय या द्वादश ना हो तो वह व्यक्ति आजीवन गरीब ही रहता है। जीवन भर कड़ी मेहनत करने के बाद भी वह कभी धन प्राप्त नहीं कर पाता।
- यदि जन्म पत्रिका में बुध द्वितीय भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति पैसा कमा तो लेता है, पर धन संग्रह की स्थिति नहीं बन पाती यानि जितना पैसा आता है, खर्च होता जाता है, जमा करने की स्थिति नहीं बनती इसलिए हाथ खाली ही बना रहता है।
- द्वितीय भाव के अलावा एकादश भाव का अध्ययन भी जरूरी है। कुंडली का 11वां भाव आय स्थान होता है। इसमें शुभ ग्रहों की स्थिति व्यक्ति को धन संचित करने में सहायक होती है।
- एकादश भाव में यदि बुध है तो व्यक्ति बड़ा व्यापारी होता है। सूर्य होने पर उसकी आय का साधन नौकरी होता है। यदि एक से अधिक शुभ ग्रह हों और उन पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि न हो तो व्यक्ति के आय के एक से अधिक साधन होते हैं।
- 11वें भाव में मंगल की युति होने पर व्यक्ति भूमि, संपत्ति के कार्यों से धन अर्जित करता है। ऐसा व्यक्ति धनी किसान होता है।
जीवन में इतना धन
वह व्यक्ति आजीवन गरीब
एकादश भाव में यदि बुध है तो...
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