असभ्य बनाता है कुंडली के दूसरे भाव में मौजूद मंगल
नई दिल्ली। आपने अक्सर देखा होगा कि सभ्य, सुशील और संस्कारी माता-पिता के बच्चे बेहद असभ्य होते हैं। वे न तो अपने माता-पिता की बात सुनते हैं और न किसी और की। ऐसे बच्चे जहां भी जाते हैं माता-पिता का सिर नीचा करवाते हैं। लाख समझाने के बाद भी नहीं मानते और लगातार बदतमीजी करते रहते हैं। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है। दरअसल इसके लिए बच्चे की जन्म कुंडली में मौजूद मंगल ग्रह जिम्मेदार है। शौर्य, साहस और बल का प्रतीक होता है मंगल।
मंगल शुभ स्थिति
जन्म कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में और मजबूत हो तो व्यक्ति साहसी, निडर होता है, लेकिन इसके उलट यदि मंगल खराब स्थिति में दूषित घर में बैठा हो तो व्यक्ति को क्रूर, असभ्य, उग्र स्वभाव वाला और कटुभाषी बनाता है। यदि कोई बच्चा असभ्य बर्ताव करता है, किसी की बात नहीं सुनता तो उसके जन्मांग चक्र के दूसरे भाव में अवश्य मंगल मौजूद होगा। दूसरे भाव में मंगल हो तो व्यक्ति क्रूर तो होता ही है, वह जीवन में कई ऐसे कार्य करता है जिसके कारण उसके पूरे परिवार को कष्ट उठाना पड़ते हैं। ऐसा व्यक्ति मुकदमों, पुलिस के केस में उलझा रहता है। मुकदमे हार जाता है और इसे जीवन में अपयश मिलता है।
दूसरे भाव के मंगल को ठीक करने के उपाय
दूसरे भाव में मंगल हो और वो खराब स्थिति में हो तो उसे ठीक करने के लिए प्रत्येक मंगलवार को शिवलिंग पर केसर का दूध अर्पित करना चाहिए। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना और मूंगा धारण करना चाहिए। इससे मंगल की शांति होती है और संबंधित व्यक्ति के स्वभाव में मधुरता आती है।
दूसरे भाव के मंगल के अन्य प्रभाव
- कुंडली के दूसरे भाव में कमजोर मंगल हो तो व्यक्ति को जीवन में कई बार भारी आर्थिक हानि उठाना पड़ती है। ऐसा व्यक्ति कर्ज में डूबा रहता है।
- दूसरे भाव में यदि मेष, सिंह, धनु राशि का मंगल हो तो व्यक्ति की पत्नी की मृत्यु विवाह के कुछ ही समय बाद हो जाती है।
- वृषभ, कन्या, मकर राशि में मंगल हो तो घर में पत्नी से लंबे समय तक क्लेश बना रहता है।
- मिथुन, तुला, कुंभ राशि में मंगल दूसरे भाव में हो तो व्यक्ति अच्छा धन संग्रह कर लेता है।
- दूसरे भाव में कमजोर और नीच का मंगल हो तो व्यक्ति को नेत्र और कान के रोग होते हैं।
वृषभ, कन्या, मकर राशि में मंगल हो तो
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