Kartik Month: लक्ष्मी की प्राप्ति और संकटों के नाश के लिए घर में जरूर रखें शंख
नई दिल्ली। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रिय वस्तु है शंख। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अनमोल रत्नों में शंख भी शामिल है। लक्ष्मी के साथ समुद्र मंथन से निकलने के कारण इसे लक्ष्मी का भ्राता भी कहा गया है। इसलिए जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास जरूर होता है। यदि आपके घर में भी अब तक शंख नहीं है तो इस कार्तिक माह में शंख जरूर लाएं और इसे अपने नियमित पूजन का हिस्सा बनाएं।
शिव पूजा में शंख का उपयोग नहीं
शंख विष्णु-लक्ष्मी का प्रिय है, लेकिन भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता है। पुराणों में शंख की उत्पत्ति के बारे एक प्रसंग आया है। उसके अनुसार भगवान शंकर और शंखचूड़ नामक राक्षस में एक समय भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में भगवान शंकर ने भगवान विष्णु से प्राप्त त्रिशूल से शंखचूड़ का वध करके उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उसे समुद्र में फेंक दिया। उन्हीं अस्थि पिंजरों से शंख की उत्पत्ति हुई। इस प्रसंग का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड 18वें अध्याय में मिलता है।
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शंख पूजा के लाभ
घर में शंख होना अपने आप में अत्यंत शुभ होता है। इसमें नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की अद्भभुत क्षमता होती है। घर में नियमित शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। शरीर स्वस्थ रहता है और दीर्घायु प्राप्त होती है। इसके दर्शन पूजन से समस्त पापों का नाश होता है और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। शत्रु परास्त होते हैं और सर्वत्र जीत हासिल होती है।
शंख के तीन प्रकार
प्रकृति के अनुसार शंख के मुख्यत: तीन प्रकार बताए गए हैं। वामावर्ती शंख, दक्षिणावर्ती शंख और गणेशमु ख। वामावर्ती शंख का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है। इसका उपयोग पूजा अनुष्ठान और अन्य मांगलिक कार्यों के समय बजाने के लिए किया जाता है। इसे दोनों समय की आरती के बाद बजाया जाता है। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप माना गया है। यह दुर्लभ किस्म का होता है। इसका फलक दायीं ओर खुलता है इसलिए इसे दक्षिणावर्ती शंख कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है स्त्री और पुरुष। यह शंख पूजा के काम आता है। इसे बजाया नहीं जाता। तीसरे प्रकार का शंख है गणेश शंख। यह पिरामिड की आकृति का होता है। घर में इसकी स्थापना और पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और दरिद्रता दूर होती है।
अन्य प्रकार के भी होते हैं शंख
गोमुखी शंख, विष्णु शंख, पांचजन्य शंख, अन्न्पूर्णा शंख, मोती शंख, हीरा शंख, टाइगर शंख।
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