गुरू करेगा तुला राशि में गोचर, जानिए क्या होगा हम पर असर?
लखनऊ। विक्रम संवत् 2074 में अश्विन कृष्ण पक्ष दिनांक 12 सितम्बर 2017 ई. को, वृष राशिस्थ चन्द्रमा के समय गुरू सांय 06:51 मिनट पर बृहस्पति कन्या राशि में में निकलकर तुला राशि में गोचर करना प्रारम्भ करेगा एंव पूरे वर्ष तुला राशि में ही संक्रमण करता रहेगा। बृहस्पति की गति 8 मील प्रति सैकिण्ड है। यह अपनी धुरी पर प्रायः 10 घण्टों में धूमता है अथवा 12 वर्ष में एक प्रदिक्षणा पूरी कर लेता है। गुरू एक राशि में एक वर्ष तक भ्रमण करता है।
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जब गुरू तुला राशि पर संक्रमण करे तब तक्षक नाम को मेघ और अश्विन नाम का वर्ष होता है। नारियल या नारियल से बनी हुई वस्तुयें मंहगी होती है। मार्गशीर्ष और पौष में अन्न संग्रह करें तो पांचवें महीने लाभ हो। मरूभूमि में उत्पात हो। रस पदार्थ जैसे-गुड़, चीनी, घृत, तेल आदि के संग्रह से चौथे माह में लाभ होता है। गुरू के तुला राशि पर संक्रमण करने से राजसत्तओं में परस्पर संघर्ष व टकराव बढ़ जाते है। राजाओं में युद्ध के संकेत और कहीं-कहीं युद्ध से छत्रभंग की स्थिति भी संभव है।
द्वादश राशियोंपर प्रभाव
आर्थिक स्थिति बेहतर
- मेष- रजत पाद का गुरू जीवन साथी से रिश्तों में मधुरता बनायें रखने में मद्द करेगा। आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। धार्मिक कार्यो में रूचि बढ़ेगी। सम्बन्धों में मजबूती ओयगी।
- वृष- इस राशि पर गुरू स्वर्ण पाद रहेगा जिसके फलस्वरूप शरीर में अरोग्यता आयेगी यानि जो लोग लम्बे समय रोग ग्रस्त है, उन्हे आराम मिलेगी। वाहन आदि की खरीद्दारी हो सकती है। सन्तान का सुख एंव धन का आगमन होने के आसार। मानसिक चिन्ता एंव इष्ट-मित्रों से धन हानि हो सकती है।
- मिथुन- लौह पाद का गुरू होने से स्वजनों से प्रेम बढ़ेगा। सन्तान सुख की प्राप्ति होती है व मित्रों से धन लाभ। बुद्धि का विकास होगा। म्लेक्ष लोगोे से किसी प्रकार की हानि हो सकती है। परिवार व भाई, बन्धुओं से सहयोग रहेगा।
- कर्क- स्वर्ण पाद का गुरू आपको सन्तान सुख में वृद्धि करायेगा। छात्रों का विद्या अध्ययन में मन लगेगा। अध्यात्म में रूचि बढेगी। स्वयं के विवके के द्वारा लिये गये निर्णयों से लाभ होगा। कुछ लोगों भूमि व वाहन आदि का लाभ मिल सकता है।
- सिंह- ताम्रपाद का गुरू जीवन साथी का सहयोग व प्रेम बना रहेगा। कार्य व व्यापार में लाभ बना रहेगा। प्रशासनिक लोगों को स्थान परिर्वतन करना पड़ सकता है। निज सम्बन्धों में मधुरता आयेगी। कुछ लोगों को राजकीय कार्यो से धन लाभ हो सकता है।
- कन्या- गुरू रजत पाद का गुरू निज सम्बन्धों में विरोधात्मक रूख बना रहेगा एंव अपने ही लोग आपको परेशान करने का प्रत्यन करेंगे। मानसिक चिन्ता रहेगी। अनेक पदार्थो का क्रय हो सकता है। भाग्य पक्ष बलवान होगा। कुछ नयें अवसर भी प्राप्त होंगे। रोग से सावधान रहें।
- तुला- लौह पाद का गुरू भूमि या प्रापर्टी की खरीद्दारी करा सकता है। सन्तान की ओर से मन प्रसन्न रहेगा। जीवन साथी के साथ मधुरतम पल व्यतीत होंगे। कुछ लोग वाहन का क्रय कर सकते है। कुछ लोगों के जीवन में आरोग्यता एंव भाग्य में वृद्धि होगी।
- वृश्चिक- ताम्रपाद का गुरू होने से शासन से भय हो सकता है। मित्रों से वाद-विवाद में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आमदनी अपेक्षा खर्च अधिक रहेगा जिससे बजट गड़बड़ा सकता है। मानसिक दुःख व चिन्ता बनी रह सकती है।
- धनु- स्वर्ण पाद का गुरू कठिन श्रम व सेवाओं से उपलब्धि प्राप्त होगी। मेहनत से धन की प्राप्ति सम्भव नजर आ रही है। जिन लोगों के सरकरी काम फॅसे हुये है, वे प्रयास करेंगे तो सफलता मिलेगी। वाहन का सुख, स्त्री, पुत्र व मित्रों का सुख बना रहेगा। कुछ लोगों को शत्रु बाधा बनी रहेगी।
- मकर- रजत पाद का गुरू होने से विभिन्न प्रकार भौतिक वस्तुओं का क्रय होने की आसार नजर आ रहें है। मित्रों के साथ मनोरंजन करने के अवसर उपलब्ध होंगे। अरोग्यता एंव सत्संग करने का अवसर प्राप्त होगा। कुछ लोगों को मानसिक चिन्ता भी बनी रह सकती है।
- कुम्भ- लौह पाद का गुरू पारिवारिक माहौल का सुखद बनायेगा। मित्र वर्ग से लाभ हो सकता है। भाग्य पक्ष आपका साथ देगा। रोगियों को लाभ होगा। शासन से लाभ होगा। भाग्य भाव का गुरू उन्नति करायेगा।
- मीन- ताम्र पाद का गुरू होने से कुछ मित्रों से बैर उत्पन्न हो सकता है। गृह क्लेश से मानसिक चिन्ता बनी रहेगी। व्यर्थ में धन का व्यय होगा। प्रशासनिक लोगों को शासन से भय रहेगा। जीवन साथी से आपसी मतभेद भी बना रहेगा। अष्टम का गुरू कुछ लोगों को अचानक धन भी दिला सकता है।
कार्य व व्यापार में लाभ
मानसिक चिन्ता रहेगी
वाहन का सुख, स्त्री, पुत्र व मित्रों का सुख
शासन से लाभ होगा