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वक्री गुरु 22-23 अप्रैल मध्यरात्रि में करेगा वृश्चिक राशि में प्रवेश

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। एक बार फिर गुरु का राशि परिवर्तन होने जा रहा है। गुरु ने 30 मार्च 2019 को धनु राशि में प्रवेश किया था और 11 अप्रैल को इसी राशि में वक्री हो गया था। वक्री गति करते हुए अब 22-23 अप्रैल की मध्यरात्रि में 1 बजकर 11 मिनट पर धनु से पुनः वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहा है। गुरु इस राशि में 11 अगस्त को मार्गी हो जाएगा।

गुरु के वक्रत्व काल में हो रहे इस राशि परिवर्तन का आप पर क्या होगा असर आइए जानते हैं...

गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है

गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है

गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है। यह कर्क राशि में उच्च का तथा मकर राशि में नीच का होता है। गुरु के मित्र ग्रह हैं सूर्य, चंद्र और मंगल। शत्रु ग्रह हैं बुध, शुक्र और समग्रह हैं शनि, राहु और केतु। इस लिहाज से देखा जाए तो लगभग सभी राशि वालों को वक्री बृहस्पति के कारण किसी ना किसी परेशानी से गुजरना पड़ेगा। गुरु के वक्री होने पर सबसे ज्यादा असर राजनीतिक और राज्य संबंधी मामलों पर होता है। निजी तौर पर व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है। गुरु के वक्री होने पर अक्सर निर्णय गलत हो जाते हैं। व्यक्ति जल्दबाजी में वो सब कार्य कर बैठता है जो उसे तत्काल या भविष्य में नुकसान पहुंचा सकते हैं। विवाह और कार्य संबंधी मामलों में परेशानी महसूस होती है। व्यक्ति के मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में कमी महसूस होती है।

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बृहस्पति सभी जातकों को प्रभावित करता है

बृहस्पति सभी जातकों को प्रभावित करता है

चूंकि बृहस्पति सभी जातकों को प्रभावित करता है इसलिए सभी राशि वाले जातक इस काल में स्वयं की रक्षा और कार्य बाधा दूर करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें और कुछ उपाय जरूर करें।

  • बृहस्पति के वक्री होने पर सबसे पहली बात व्यक्ति की निर्णय क्षमता कमजोर होती है। इसलिए जो भी कार्य करें, पैसों का लेनदेन या कोई नया कार्य प्रारंभ करने की योजना बनाएं तो पहले उसके अच्छे-बुरे पक्ष पर ठीक से विचार कर लें।
  • इस काल में कोई भी ऐसा कार्य ना करें जो दूसरों को हानि पहुंचाने वाला हो। सिर्फ मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों आदि को भी कोई कष्ट ना पहुंचाएं।
  • स्त्रियों, बच्चों, परिवार के बुजुर्गों के मान-सम्मान और सुख का ध्यान रखते हुए कार्य करें।
  • अपने गुरुजनों का अपमान ना करें, उनकी निंदा ना करें।
  • गुरु के वक्री काल में वेद, पुराण, साहित्य आदि में लिखी बातों की निंदा ना करें।

ये उपाय करें

ये उपाय करें

  • बृहस्पति के वक्री होने के दौरान अपने पिता, पिता के समान बुजुर्गों और गुरु की सेवा करें। उनका मान-सम्मान रखें। उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करें।
  • अपने ईष्ट देव का ध्यान करें, उनकी सेवा-पूजा करें।
  • प्रत्येक गुरुवार को गाय को पके हुए केले खिलाएं। दत्तात्रेय मंदिर में गुरुवार को सवा पाव चने की दाल दान करें।
  • गुरु के वक्री काल में सबसे अधिक लाभ बुजुर्गों की सेवा से मिलता है। इसलिए जो भी बुजुर्ग आपके घर आए उन्हें खाली हाथ ना जाने दें।

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English summary
Jupiter will retrograde in Scorpio on April 22, 2019, at around 5:55 pm and will be going back in Sagittarius on November 5, 2019, a 6:42 pm.
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