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Kundali: कब मिलता है वाहन सुख और क्यों नहीं फलते वाहन?

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। अच्छा वाहन सुख हर किसी की किस्मत में नहीं होता। हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है कि उसके पास बड़ी सी चमचमाती कार हो, लेकिन कई लोग चाहते हुए भी वाहन नहीं खरीद पाते। कई लोगों को वाहन सुख फलता नहीं है, उन्हें अपने खरीदे गए वाहन से किसी न किसी प्रकार का नुकसान होता रहता है या तो वाहन में खर्चा अधिक होने लगता है या वाहन से दुर्घटनाएं बहुत होती हैं।

आइए आपकी जन्मकुंडली के आधार पर जानते हैं आपकी किस्मत में वाहन सुख है या नहीं। है तो कितना और कैसे वाहन का सुख है...

जन्मकुंडली का चतुर्थ भाव सुख स्थान कहलाता है

जन्मकुंडली का चतुर्थ भाव सुख स्थान कहलाता है

जन्मकुंडली का चतुर्थ भाव सुख स्थान कहलाता है। इसी भाव से वाहन सुख का भी विचार किया जाता है। आप कितने और किस प्रकार के वाहनों के स्वामी बनेंगे, यह चतुर्थ भाव के ग्रह योग देखकर पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही लग्न स्थान और नवम भाव का विचार भी किया जाना चाहिए।

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 अच्छे वाहन सुख की प्राप्ति

अच्छे वाहन सुख की प्राप्ति

  • लग्न का स्वामी, चतुर्थ स्थान का स्वामी और नवम स्थान का स्वामी परस्पर केंद्र में रहने से अच्छे वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
  • लग्नेश तथा चतुर्थेश एक साथ पहले, चौथे या नवम भाव में हो तो इन्हीं ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में वाहन सुख मिलता है।
  • चौथे का स्वामी पांचवे भाव में तथा पांचवें भाव का स्वामी चौथे स्थान में हो तो वाहन सुख मिलता है।
  • शुक्र से सातवें स्थान में चंद्रमा होने पर भी उत्तम वाहन सुख मिलता है। ऐसा जातक एक से अधिक वाहनों का स्वामी बनता है।
  • चतुर्थेश, शनि, गुरु व शुक्र के साथ नवम भाव में हो तथा नवमेश केंद्र या त्रिकोण में हो तो अनेक वाहनों का सुख मिलता है।
  • चतुर्थ स्थान में शुक्र स्वराशि का हो तो जातक के पास लग्जरी गाडि़यों का काफिला होता है।
  • नवम स्थान भाग्य भाव कहलाता है। नवम स्थान में बृहस्पति, बुध या शुक्र चतुर्थ स्थान के स्वामी के साथ बैठे हों तो जातक के पास बड़ी-बड़ी फोर व्हीलर गाडि़यां होती हैं।
  • कब परेशानी देते हैं वाहन

    कब परेशानी देते हैं वाहन

    वाहनों से कई लोग अक्सर बहुत परेशान रहते हैं। कई लोगों को वाहन फलते नहीं हैं और उनसे अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कई लोगों के वाहनों में कोई न कोई परेशानी आती रहती है और उनकी मरम्मत पर खर्च भी अधिक होता है। नवग्रहों में से शनि का आधिपत्य लोहे पर होता है और वाहन में लौह तत्व की प्रधानता होने के कारण उन पर शनि का प्रभाव होता है। जिस जातक की जन्मकुंडली में शनि चतुर्थ स्थान में हो और उस वक्त जातक को शनि की साढ़ेसाती चल रही हो तो वाहन दुर्घटना की आशंका रहती है। शनि की महादशा-अंतर्दशा में जातक को वाहन संभलकर चलाना चाहिए।

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English summary
In fact, a person’s status within society, fame, and the home they live in is cumulatively measured.
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