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सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम, सुख-समृद्धि और मोक्ष के लिए करें जन्माष्टमी व्रत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण प्रेम और माधुर्य की पूरी दुनिया दीवानी है। उनके आकर्षण और जगमोहिनी मुस्कान के बंधन से कोई नहीं बच पाया है। ऐसे जननायक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में मनाया जाता है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव तो मनाया ही जाता है, इस दिन व्रत रखने का अपना महत्व है। जन्माष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को भोग, मोक्ष के साथ सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस वर्ष जन्माष्टमी 11 और 12 अगस्त दोनों दिन मनाई जा रही है, लेकिन वैष्णव मत के अनुसार 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाना सही है।

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43 मिनट का है पूजन का शुभ मुहूर्त

43 मिनट का है पूजन का शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की उपासना की जाती है। कृष्ण पूजन से मनचाहा वरदान और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा उनके जन्म के समय अर्थात् रात में 12 बजे करना श्रेयस्कर रहता है। इस दिन व्रती अन्न् ग्रहण न करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार ग्रहण कर सकता है। भगवान कृष्ण की सुंदर झांकी सजाकर उन्हें नवीन वस्त्र धारण करवाएं। 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी।

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कैसे लें व्रत का संकल्प

कैसे लें व्रत का संकल्प

यह व्रत बालक, कुमार, युवा, वृद्ध सभी अवस्था वाले नर-नारियों को करना चाहिए। इससे पापों की निवृत्ति व सुखों की वृद्धि होती है। व्रती को उपवास की पूर्व रात्रि में अल्पाहारी व जितेंद्रिय रहना चाहिए। तिथि विशेष पर प्रात: स्नान कर सूर्य, सोम (चंद्रमा), पवन, दिग्पति (चार दिशाएं), भूमि, आकाश, यम और ब्रह्म आदि को नमन कर उत्तर मुख बैठना चाहिए। हाथ में जल-अक्षत-कुश लेकर मास-तिथि-पक्ष का उच्चारण कर 'मेरे सभी तरह के पापों का शमन व सभी अभीष्टों की सिद्धि के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करेंगे" का संकल्प लेना चाहिए।

कैसे करें जन्माष्टमी पूजा

कैसे करें जन्माष्टमी पूजा

पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में 12 बजे हुआ था। इसीलिए रात 12 बजे श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन सभी मंदिरों का श्रंृगार किया जाता है। घर-घर में झूला और झांकी सजाई जाती है। श्री कृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप का सोलह श्रंृगार किया जाता है। कई स्थानों पर रात 12 बजे खीरा ककड़ी के अंदर से भगवान कृष्ण का जन्म कराया जाता है। इस दिन रात 12 बजे तक व्रत रखने की परंपरा है। श्री कृष्ण का जन्म होते ही शंख, घंटों की आवाज से सारे मंदिरों और संपूर्ण जगत में श्री कृष्ण के जन्म की सूचना से दिशाएं गूंज उठती हैं। इसके बाद भगवान कृष्ण को झूला झुलाकर आरती की जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। श्री कृष्ण द्वारा गोकुलधाम में गोपियों की मटकी से माखन लूटने की याद में लगभग संपूर्ण भारत में इस दिन मटकी फोड़ने की परंपरा का निर्वाह भी किया जाता है।

जन्माष्टमी व्रत के लाभ

जन्माष्टमी व्रत के लाभ

  • जन्माष्टमी का व्रत उन स्त्रियों को अवश्य करना चाहिए जिन्हें विवाह के अनेक वर्षों बाद भी संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा है।
  • जिन स्त्रियों की संतानें बीमार रहती हैं, उन्हें जन्मजात कोई रोग है, उन्हें जन्माष्टमी व्रत जरूर करना चाहिए।
  • जिन दंपतियों की संतानें गलत रास्ते पर चली गई हैं, आपका कहना नहीं मानती हैं, उन्हें भी जन्माष्टमी व्रत करना चाहिए।
  • जन्माष्टमी व्रत से आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है। फिर सब लोग आपकी बात मानने लगते हैं।
  • इससे सौंदर्य में वृद्धि होती है। वाणी का ओज प्राप्त होता है।
  • प्रेम की चाह रखने वाले युवक-युवतियों को जन्माष्टमी व्रत रखकर विधि विधान से श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिए।
  • सुख-समृद्धि में वृद्धि करने के लिए जन्माष्टमी व्रत जरूर करें।

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English summary
Krishna Janmashtami will be celebrated on 12th August this year, here is Importance of Lord Krishna Fast.
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