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Naming Ceremony: बच्चे का नामकरण कब करें, कैसे होते हैं शुभ और अशुभ नाम?

By Pt. Gajendra Sharma
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Importance of naming ceremony: हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में अन्य संस्कारों की तरह नामकरण संस्कार भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि नाम ही है जो व्यक्ति को संसार में पहचान दिलाता है। उसका जो नाम होता है उसी से लोग उसे पहचानते हैं। नाम से ही व्यक्ति सांसारिक जीवन के सारे कर्म करता है। इसलिए नामकरण संस्कार का महत्व बताया गया है। नाम कैसा हो, कैसा न हो इसे लेकिन हिंदू धर्म शास्त्रों में विस्तार से वर्णन मिलता है।

Naming Ceremony: कैसे होते हैं शुभ और अशुभ नाम?

आइए जानते हैं कब किया जाए, कब नहीं किया जाए नामकरण

  • पर्व तिथि चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या, पूर्णिमा में नामकरण नहीं करना चाहिए।
  • रिक्ता तिथि चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी तिथियों में नामकरण नहीं करना चाहिए।
  • उपरोक्त तिथियों को छोड़कर 1, 2, 3, 5, 6, 7, 10, 11, 12, 13 में नामकरण शुभ होता है।
  • शुभग्रहों चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र के वारों में करना चाहिए।
  • नामकरण जन्म समय से 11वें या 12वें दिन करना शुभ रहता है।
  • मृदु संज्ञक नक्षत्र जैसे मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा में, ध्रुवसंज्ञक नक्षत्र तीनों उत्तरा, रोहिणी में, क्षिप्रसंज्ञक नक्षत्र हस्त, अश्विनी, पुष्य एवं चर संज्ञक नक्षत्र स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा इन 16 नक्षत्रों में बालक का नामकरण संस्कार करना शुभ होता है।

कैसा नाम होता है शुभ-अशुभ

  • बच्चे का नाम कुल के देवी-देवता के नाम पर होना चाहिए।
  • मार्गशीर्ष के क्रम से कृष्ण, अनंत, अच्युत, चक्रधर, वैकुंठ, जनार्दन, उपेंद्र, यशपुरुष, वासुदेव, हरि, योगीश तथा पुंडरीकाक्ष ये मास के नाम हैं। इनके आधार पर नाम रख जा सकता है।
  • नक्षत्रों के चरण के अनुसार जो नाम अक्षर आए उस पर नाम रखना शुभ होता है।
  • व्यावहारिक नाम दो, चार या छह अक्षर का उत्तम होता है।
  • यश एवं मान-प्रतिष्ठा की इच्छा रखने वाले का नाम दो अक्षर का, ब्रह्मचर्य तप-पुष्टि की कामना से चार अक्षर का नाम श्रेष्ठ होता है।
  • बच्चे लड़के का नाम विषम अक्षर 3, 5, 7 अक्षर वाला नहीं होना चाहिए।
  • नाम के प्रारंभ में घोषाक्षर वर्ण का तीसरा, चौथा, पांचवा अक्षर और ह अर्थात् ग, घ, ज, झ, ड, ढ, द, ध, न, ब, भ, म, ह और बाद में य, र, ल, व होना उत्तम होता है।
  • कुलक्रमागत नाम अर्थात् पिता आदि के नाम का उत्तरार्ध पुत्र के नाम का उत्तरार्ध होना श्रेष्ठ होता है।
  • कन्या का नाम विषम अक्षर 3, 5 अक्षरों का और कोमल, श्रुतिमधुर, मनोहर, मांगलिक एवं धार्मिक होना शुभ हेाता है।
  • नक्षत्र, नदी, वृक्ष, पक्षी, सर्प, सेवक, संबंधी एवं भयंकर नाम नहीं होना चाहिए।
  • घरेलु दुलार का नाम सौम्य, मधुर, कोमल एवं इच्छानुसार रखना श्रेष्ठ कहा गया है।
Comments
English summary
A child’s name depends on the position of Moon in a Nakshatra or sign at the time of his birth. The sign in which the Moon resides at the time of birth is the birth sign.
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