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जन्मकुंडली का एक ऐसा दोष जो व्यक्ति को बना सकता है अपराधी

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में विभिन्न् प्रकार की ग्रह स्थितियों और उनके तालमेल से बनने वाले योगों का बड़ा महत्व है। ये योग जब अशुभ प्रभाव देने लगते हैं तो वे दोष की श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें योग की बजाय दोष कहा जाने लगता है। वैदिक ज्योतिष का एक ऐसा ही योग है काहल योग। इसके नाम के साथ योग शब्द जुड़ा हुआ है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि यह व्यक्ति को शुभ प्रभाव देता है, लेकिन यह एक प्रकार का दोष भी है। क्योंकि जब यह ग्रहों की अशुभ स्थितियों के कारण बनता है तो व्यक्ति को गंभीर अपराधी तक बना देता है।

आइए जानते हैं काहल योग कब, किन परिस्थितियों में बनता है और इसका शुभ-अशुभ प्रभाव क्या होता है...

कैसे बनता है काहल योग

कैसे बनता है काहल योग

वैदिक ज्योतिष में काहल योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में तीसरे घर का स्वामी ग्रह तथा दसवें घर का स्वामी ग्रह एक दूसरे से केंद्र में स्थित हों। अर्थात एक दूसरे से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में स्थित हों तथा कुंडली के पहले घर का स्वामी अर्थात लग्नेश प्रबल हो तो ऐसी कुंडली में काहल योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक अत्यंत साहसी होता है। उसमें पराक्रम जैसे गुण जन्मजात होते हैं। वह किसी से डरता नहीं है। जिस जातक की जन्मकुंडली में यह योग होता है वह पुलिस, सेना तथा अन्य प्रकार के सुरक्षा बलों में सफल होते देखे जाते हैं। कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि यदि किसी कुंडली में तीसरे घर का स्वामी ग्रह बृहस्पति से केंद्र में स्थित हो, तो भी कुंडली में काहल योग का निर्माण होता है।

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विपरीत फल भी देता है काहल योग

विपरीत फल भी देता है काहल योग

काहल योग के कारण जातक में उपरोक्त शुभ प्रभाव तो देखने में आते ही हैं, लेकिन यह अशुभ फल भी देता है। कई कुंडलियों में इस योग के दुष्परिणाम भी देखने में आते हैं। इसलिए इसे काहल दोष के नाम से भी जाना जाता है। अन्य सभी शुभ योगों की भांति ही काहल योग के निर्माण के लिए भी कुंडली में तीसरे घर के स्वामी ग्रह तथा दसवें घर के स्वामी ग्रह दोनों का ही शुभ होना अति आवश्यक है, क्योंकि इन दोनों ग्रहों में से किसी एक के अथवा दोनों के ही अशुभ होने की स्थिति में कुंडली में काहल योग न बनकर किसी प्रकार का दोष बन जाएगा।

अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है...

अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है...

जिसके कारण जातक को जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली में तीसरे घर के स्वामी ग्रह तथा दसवें घर के स्वामी ग्रह के अशुभ होकर एक दूसरे से केंद्र में स्थित हो जाने पर कुंडली में काहल दोष बनेगा। यदि ऐसी ग्रह परिस्थितियां बनी तो जातक गंभीर किस्म का अपराधी बन सकता है।

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Comments
English summary
It is a proven fact that planetary combinations are indicative of whether one would go to jail or would be put behind the bar in his lifetime.
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