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Lathmar Holi 2021: 'बरसाना की होली' के जिक्र बिना अधूरा है होली का हर फाग

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मथुरा। होली का पर्व हो और 'बरसाना की होली' की बात ना हो, भला ऐसे कैसे संभव है..कहते हैं जिसने यहां की लठ्ठमार होली नहीं खेली तो उसने कुछ नहीं खेला। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की प्रिय गोपी राधा 'बरसाना' की ही रहने वाली थीं। पद्म पुराण के अनुसार राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थीं। वृषभानु जाति के वैश्य थे। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधा कृष्ण की मित्र थीं और उनका विवाह रापाण के साथ हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण राधा के साथ होली खेलने के लिए नंदगाव से यहां आया करते थे और इसी वजह से यहां तब से होली बहुत उल्लास से खेली जाती है।

चलिए इस खूबसूरत होली के बारे में जानते हैं कुछ खास बातें....

बरसाना राधा की जन्मस्थली

बरसाना राधा की जन्मस्थली

माना जाता है कि राधा का जन्म बरसाना में हुआ था। राधारानी का प्रसिद्ध मंदिर बरसाना ग्राम की पहाड़ी पर स्थित है। बरसाना में राधा को 'लाड़लीजी' कहा जाता है। बरसाना गांव लट्ठमार होली के लिये सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिये हजारों भक्त एकत्र होते हैं।

लठ्ठमार होली

लठ्ठमार होली

नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना गांव में आते हैं और बरसाना गांव के लोग नंदगांव में जाते हैं। इनको होरियारे कहा जाता है। प्रथा के अनुसार नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं पर रंग डालते हैं जिनसे बचने के लिए महिलाएं उन पर लठ्ठवार करती हैं। इस दौरान भांग और ठंडाई पीने की प्रथा है। लोग रंग खेलते वक्त भगवान श्रीकृष्ण के भजन और फाग गाते हैं।

राधा-कृष्ण के प्रेम को याद करते हैं

राधा-कृष्ण के प्रेम को याद करते हैं

बरसाना की लट्ठमार होली के बाद अगले दिन यानी फाल्गुन शुक्ला दशमी के दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंचते हैं। तब नंदभवन में होली की खूब धूम मचती है। इस होली से लोग राधा-कृष्ण के प्रेम को याद करते हैं।

परंपरा

परंपरा

माना जाता है कि कृष्ण अपने सखाओं के साथ इसी प्रकार कमर में फेंटा लगाए राधा और उनकी सखियों से होली खेलते थे, जिस पर राधा और उनकी सखियां ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। ऐसे में लाठी-डंडों की मार से बचने के लिए ग्वाल वृंद भी लाठी या ढ़ालों का प्रयोग किया करते थे जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गया।

पलाश के फूल का गुलाल

पलाश के फूल का गुलाल

यहां के घर-घर में होली का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। टेसू (पलाश) के फूल तोड़कर और उन्हें सुखा कर रंग और गुलाल तैयार किया जाता है।

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English summary
Lath mar Holi is a local celebration of the Hindu festival of Holi. It takes place days before the actual Holi in the neighbouring towns of Barsana and Nandgaon near Mathura in the state of Uttar Pradesh, here is some interesting facts about this festival.
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