इन छोटे-छोटे उपायों से करें नवग्रहों को प्रसन्न
मनुष्य के जीवन में कोई बाधा न आए, वह स्वस्थ रहे, धन-धान्य से भरपूर रहे इसके लिए हमारे शास्त्रों में नवग्रह पूजा का विधान बताया गया है।
नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धरती के प्रत्येक प्राणी चाहे वह मनुष्य हो या पशु-पक्षी, पेड़-पौधे हो या निर्जीव वस्तुएं सभी पर ग्रहों का प्रभाव समान रूप से पड़ता है। चंद्रमा की कलाएं बदलते ही समुद्र में ज्वार-भाटा आ जाता है। ग्रहों की चाल बदलते ही प्राकृतिक आपदाएं आ जाती हैं तो सोचिए मनुष्य पर इनका कितना प्रभाव पड़ता है।
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नवग्रह पूजा का विधान
मनुष्य के जीवन में कोई बाधा न आए, वह उम्रभर स्वस्थ रहे, धन-धान्य से भरपूर रहे इसके लिए हमारे शास्त्रों में नवग्रह पूजा का विधान बताया गया है। मनुष्य के जीवन में जब कोई संकट आता है तो उसे नवग्रह शांति कराने को कहा जाता है।
नवग्रह शांति पूजा
हिंदू परिवारों में नवग्रह शांति पूजा सर्वाधिक प्रचलित है। जब परिवार पर कोई मुश्किल घड़ी आए, बनते काम बिगड़ने लगे, आर्थिक संकट बना रहे, परिवार में कोई न कोई रोगी हो तो नवग्रह शांति करवाना चाहिए। इसके लिए नवग्रह शांति हवन, यज्ञ करवाया जाता है। इसमें सभी नौ ग्रहों के प्रतिनिधि वृक्षों के पंचगव्यों यानी फूल, पत्ते, डाल, छाल और जड़ को समिधा के रूप में उपयोग किया जाता है। नवग्रहों से संबंधित अनाज और सामग्रियों से आहूति दी जाती है। अलग-अलग कार्यों के हिसाब से अलग-अलग संख्या में मंत्रों से आहूति दी जाती है। ऐसा करने से नवग्रहों की शांति होती है।
नवग्रह यंत्र की स्थापना
घर या प्रतिष्ठान आदि में सिद्ध किए हुए नवग्रह यंत्र की स्थापना ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति दिलाती है। खासकर जिन लोगों के व्यापार में लगातार हानि हो रही हो। कठिन परिश्रम के बावजूद नौकरी में तरक्की नहीं हो पा रही हो। कार्यस्थल पर उच्च अधिकारी पीड़ा दे रहे हों या आपके विपरीत चल रहे हों तो नवग्रह यंत्र की स्थापना कर नियमित इसके सामने नवग्रह स्तोत्र का पाठ या नवग्रहों के बीज मंत्रों का जाप करने से परिस्थितियां आपके अनुकूल होने लगती हैं। संकट के बादल छंटने लगते हैं और तरक्की आपके कदम चूमने लगती है।
नवग्रह अंगूठी या पेंडेंट
परिवार और सामाजिक स्थिति में यदि आपको मान-सम्मान नहीं मिल रहा हो। आपको कहीं महत्व नहीं मिल रहा हो। आपके निर्णय की किसी को परवाह नहीं, यदि ऐसी स्थिति हो तो नवग्रह की अंगूठी या पेंडेंट धारण किया जाता है। नवग्रह अंगूठी में सभी ग्रहों के रत्नों को एक विशेष क्रम और ग्रहों की दिशाओं के अनुसार अंगूठी में जड़ा जाता है। इसे पहनने से पहले शुद्धिकरण आवश्यक है। किसी भी दिन प्रातःकाल अंगूठी को अपने पूजन स्थान में गंगाजल, कच्चे दूध से धोएं। इसके बाद नवग्रह स्तोत्र का जाप करें। धूप-दीप, पुष्प अर्पित करें और अपने समस्त कार्यों की सिद्धि की कामना के साथ अंगूठी या पेंडेंट को धारण करें। इससे तुरंत और प्रभावी लाभ दिखाई देने लगेगा।
नवग्रह वाटिका पूजन
ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का एक-एक वृक्ष या पौधा बताया गया है। कई शहरों में नवग्रह वाटिका बनाई जाने लगी है, जहां सभी ग्रहों के पेड़-पौधों को विधान के अनुसार लगाया जाता है। नवग्रह वाटिका में जाकर पेड़ों का पूजन किया जाता है। नवग्रह वाटिका में बैठकर मंत्र जप करने का चमत्कारिक लाभ होता है। इससे मंत्रों का प्रभाव कई गुना और जल्दी मिलता है।