Hindu New Year : 25 मार्च से नवसंवत्सर प्रमादी, राजा होगा बुध, मंत्री चंद्र
नई दिल्ली। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 25 मार्च 2020, बुधवार से नव संवत्सर 2077 आरंभ है। इस संवत्सर का नाम प्रमादी है। बुधवार को प्रारंभ होने के कारण इस संवत्सर के राजा बुध होंगे। यह संवत्सर रूद्र विंशति के अंतर्गत सातवां संवत्सर है। इस संवत्सर में 10 अधिकारियों में से ग्रह मंडल में पांच स्थान सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं और पांच स्थान क्रूर ग्रहों के पास है इसलिए वर्षफल कुल मिलाकर मिलाजुला रहेगा। प्रमादी नामक संवत्सर के प्रभाव से कृषि के क्षेत्र में तरक्की होगी। अनाज का भंडारण देश में अच्छा होगा। रस से भरपूर पदार्थों के मूल्यों में बढ़ोतरी होगी। इस संवत्सर में भाद्रपद माह में भारी वर्षा का अनुमान है। राजनीतिक उथल-पुथल बनी रहेगी। जातिगत हिंसा में वृद्धि होगी। सरकार की ओर से कुछ कठोर कानून लाए जाने अंतर्विरोध चरम पर होगा। कुछ राज्यों की सरकारें बदल सकती है। किसी बड़े राजनेता, अभिनेता, अभिनेत्री, संगीत जगह की प्रसिद्ध हस्ति की हानि होगी।
ग्रह मंडल की स्थिति
- राजा बुध: प्रमादी संवत्सर के राजा बुध होंगे। वर्षा श्रेष्ठ होगी। अन्नोत्पादन प्रायः अच्छा रहेगा। मंगल कार्य होंगे। सभी प्राणियों में सौख्य बना रहेगा। शिक्षा क्षेत्र, अध्ययन, अध्यापन से जुड़े लोगों के लिए वर्ष शुभ। रस पदार्थों में तेजी के बाद भाव में भारी कमी आएगी। बुजुर्गों के साथ युवाओं का विरोधाभास रहेगा।
- मंत्री चंद्र: प्रजा में सुख समृद्धि रहेगी। अन्न, चावल का उत्पादन अच्छा होबगा। सफेद रंग की वस्तुएं जैसे रूई, चांदी, दुग्ध उत्पादन श्वेत वस्त्र, तिल, चावल का बाजार अच्छा रहेगा। चारों ओर भौतिक सुख-सुविधाएं पाने की लालसा चरम पर रहेंगी। बाजार में मूल्यों में उतार-चढ़ाव जल्दी-जल्दी होगा। प्रजा के मन में किसी बात को लेकर दुविधा रह सकती है।
- सस्येश गुरु: सस्येश का अर्थ है फल और फसलों का स्वामी। सस्येश गुरु होने से दूध और फलों की वृद्धि अच्छी रहेगी। गुरु के प्रभाव से लोगों की प्रवृत्ति धार्मिक कार्यों में अधिक रहेगी। राजा और प्रजा के बीच मतभेद होने के बावजूद देश तरक्की की ओर अग्रसर होगा। व्यापारियों को लाभ की स्थिति रहेगी।
भारी वर्षा होने की संभावना
- धान्येश मंगल: ग्रीष्म धान्य गेहूं, चना, सरसो, चावल, गन्ना, घी, तेल, मूंग उड़द की दालें, सोयाबीन के मूल्यों में वृद्धि होगी। इनमें से कुछ वस्तुओं की कीमतें सरकारों के लिए मुसीबत बन सकती है।
- मेघश सूर्य: मेघेश यानी वर्षा का स्वामी। इस वर्ष खंड वर्षा रहेगी। कुछ माह वर्षा की बड़ी कमी तो भाद्रपद जैसे माह में भारी वर्षा होने की संभावना रहेगी। वर्षाजनित रोग फैलने की आशंका है।
- रसेश शनि: विश्व का वायुमंडल दूषित होने से ऋतुओं में अचानक परिवर्तन होगा। जिससे गर्मी, सर्दी, बारिश का क्रम गड़बड़ा सकता है। रसों का स्वामी शनि होने के कारण भूजल स्तर में भारी कमी आएगी। बेमौसम वर्षा, तापमान में अचानक बढ़ोतरी, अचानक कमी जैसी स्थिति देखने को मिलेगी।
- नीरसेश गुरु: इस संवत्सर में ठोस धातुओं का स्वामी गुरु रहेगा। हल्दी, पीलेरंग के वस्त्र, सोना, पीतल जैसी धातुओं के मूल्यों में वृद्धि होगी। इनके प्रति लोगों का आकर्षण अधिक रहने के कारण इनकी मांग में भी जबर्दस्त बढ़ोतरी होने वाली है।
मनुष्य सांसारिक आनंद का अनुभव प्राप्त करेंगे
- फलेश सूर्य: वृक्षों के पुष्पों व फलों में समृद्धि आएगी। मनुष्य सांसारिक आनंद का अनुभव प्राप्त करेंगे। शासन में सुस्थिरता बनी रहेगी। फल और फूलों की अच्छी पैदावार भी होगी ओर उत्पादन भी बढ़ेगा। हालांकि वर्षा का अनुपात सही नहीं होने के कारण इनके उत्पादन में विरोधाभास देखने को मिलेगा।
- धनेश बुध: विविध व्यापारिक वस्तुओं के संग्रह से वणिक वर्ग को अच्छा लाभ होगा। वैदिक विद्वान जप, यज्ञ व धार्मिक अनुष्ठान में तत्पर रहेंगे। कृषि उत्पादन अच्छा रहेगा। शासन के राजकोष में वृद्धि होगी। धार्मिक कार्य कलापों से भी धन की अच्छी प्राप्ति होगी।
- दुर्गेश सूर्य: शासक-प्रशासक वर्ग न्यायप्रिय रहेंगे। न्यायालयों में निष्पक्ष एवं ऐतिहासिक निर्णय होंगे। सत्तासीन व साधारण जन के मध्य भेदभाव में कमी आएगी। दोनों में सामंजस्यता बनी रहेगी। आवागमन के साधनों के वृद्धि होने से मार्ग में भय नहीं रहेगा। हालांकि सरकारी तंत्र से जुड़े लोग नियमों को अधिक महत्व नहीं देंगे और अपनी मन मर्जी ज्यादा कर सकते हैं।
यह रहेगी नए संवत की पूरी परिषद
- राजा बुध - राष्ट्रपति, राष्ट्राध्यक्ष
- मंत्री चंद्र - प्रधानमंत्री, शासनाध्यक्ष
- सस्येश गुरु - वर्षा ऋतु की फसलों का स्वामी
- धान्येश मंगल - शरद ऋतु की फसलों का स्वामी
- मेघेश सूर्य - बादलों का स्वामी, बारिश पर आधिपत्य
- रसेश शनि - रसभरे पदार्थों का स्वामी
- नीरसेश गुरु - धातुओं, वस्त्रों का स्वामी
- फलेश सूर्य - समग्र फलों का स्वामी
- धनेश बुध - धन एवं कोष का स्वामी
- दुर्गेश सूर्य - रक्षा मंत्री, सेनानायक