World Heart Day: आपकी कुंडली में भी छिपा होता है दिल की बीमारियों का राज
नई दिल्ली। वैसे तो बीमारियों की जांच और इलाज डॉक्टर का काम है, लेकिन ज्योतिष आपकी कुंडली देखकर यह जरूर बता सकता है कि आपका शरीर किन बीमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील है यानी आपको कौन सी बीमारी होने की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। हम 29 सितंबर, विश्व हृदय दिवस (World Heart Day 2020) के मौके पर कुंडली में बनने वाली ऐसी ग्रह स्थितियों या योगों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे दिल की बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इनके बारे में जानकर आप बीमारियों को लेकर पहले ही अलर्ट हो सकते हैं।
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हृदय का कारक है सूर्य
सूर्य हृदय का कारक होता है। अगर कुंडली में सूर्य बहुत ज्यादा पीड़ित हो यानी उस पर पाप प्रभाव हो तो दिल की बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती है। इसी प्रकार सूर्य की अपनी राशि सिंह पर प्रतिकूल प्रभाव होना भी इसी ओर संकेत करता है। मंगल या शनि की युति या दृष्टि से सूर्य पीड़ित हो जाता है।
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कुंडली का पंचम भाव
इसी प्रकार कुंडली का पंचम भाव आपके हृदय की ओर संकेत करता है। पंचम भाव और पंचमेश पर पाप प्रभाव होने से दिल की बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, इस बीमारी के लिए शरीर का चौथा भाव भी अहम होता है। चौथा भाव व्यक्ति के वक्ष स्थल की ओर संकेत करता है। चौथे भाव पर बहुत ज्यादा पीड़ा से हृदय रोग की वक्ष स्थल से संबंधी जटिलताओं और हृदय की सर्जरी के संकेत मिलते हैं।
कब गंभीर होगी बीमारी
कुंडली में पर्याप्त पाप प्रभाव के साथ अगर ऐसे ग्रहों की दशाएं मिलती हैं, जो सूर्य, पंचम भाव या पंचमेश से संबंधित हों तो वे हृदय रोग दे सकती हैं। साथ ही बीमारी को और भी गंभीर रूप दे सकती हैं।
नोट- किसी भी बीमारी के आकलन के लिए लग्न कुंडली के अलावा नवांश, द्रेष्काण और द्वादशांश का विश्लेषण भी किया जाता है। उसके बाद ही कुछ स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है।
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