Gemstones: 5 स्टोन जो मजबूत करेंगे आपकी हडि्डयां
नई दिल्ली।आजकल की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक कम उम्र में हडि्डयों का कमजोर होना है। इसका कारण पर्याप्त पोषण नहीं मिलना है। बच्चे सब्जियों, दूध और दूध से बनी चीजें पसंद कम करते हैं और सबसे बड़ी बात धूप में भी कम निकलते हैं, जिससे हडि्डयों को विटामिन डी नहीं मिल पाता और हड्डियां कम उम्र में कमजोर होने लगती है। महिलाओं में भी ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या अधिक पाई जाती है।हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के लिए पर्याप्त विटामिन डी युक्त आहार लेना तो आवश्यक है ही, लेकिन रत्न शास्त्र में भी इसका उपचार बताया गया है। ऐसे अनेक जेमस्टोन हैं जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करने का काम करते हैं। इन्हें धारण करने से न केवल शरीर में कैल्शियम की मात्रा संतुलित रहती है, बल्कि ऑस्टियोपोरोसिस और बोन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बचा जा सकता है। आइए जानते हैं उन जेमस्टोन के बारे में :
एपेटाइट
नीले फिरोजी कलर का यह स्टोन जितना खूबसूरत बाहर से दिखाई देता है, उतनी ही सुंदर इसके अंदर झाइयां होती हैं। यह पारदर्शी होता है। इसे पहनने से हड्डियों की कैल्शियम ग्रहण करने की क्षमता में वृद्धि होती है। जोड़ों में दर्द की समस्या से भी यह स्टोन काफी हद तक राहत दिलाता है।
हॉवलाइट
यह पत्थर सफेद रंग का होता है और इसमें काली लकीरों वाली झाइयां होती हैं। यह अपारदर्शी पत्थर है। हॉवलाइट धारण करने वाले व्यक्ति की हड्डियां मजबूत होती हैं। उनमें कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा संग्रहित होती है। यह स्टोन मांसपेशियों के तनाव को दूर करता है, जिससे हड्डियों को स्वाभाविक रूप से बढ़ने में मदद मिलती है।
कैल्साइट
यह सफेद, चमकीला पारदर्शी स्टोन होता है। इसे शरीर से टच करते हुए पहले जाता है, ताकि हड्डियों को मजबूती मिले। इसे धारण करने से केवल विटामिन डी ही नहीं, बल्कि अन्य सभी तरह के विटामिन और मिनरल्स शरीर को पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।
फ्लूओराइट
यह स्टोन बेहद खूबसूरत सतरंगी होता है। इसके अंदर अनेक रंगों की रोशनी चमकती दिखाई देती है। इस स्टोन का मुख्य काम हड्डियों और उसके चिपकी आसपास की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करना है।
पायराइट
यह सुनहरा चमकीला पत्थर होता है। दूर से देखने पर यह स्वर्ण सी आभा बिखेरता है। यह पारदर्शी और अपारदर्शी दोनों श्रेणियों में पाया जाता है। इस स्टोन को धारण करने से हड्डियों से जुड़े रोग दूर होते हैं। जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है। यदि प्रारंभिक अवस्था में बीमारी का पता लग जाए और इसे धारण कर लिया जाए तो नी रिप्लेसमेंट तक की स्थिति से बचा जा सकता है।
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