Hanuman Mantra: मंगलदोष से पीड़ित है या सुख-शांति चाहिए तो इन मंत्रों से कीजिए बजरंग बली की पूजा
नई दिल्ली। मंगलवार का दिन पवनपुत्र हनुमान जी को समर्पित है, भगवान राम के प्रिय और रूद्र अवतार हनुमान के पराक्रम का लोहा तो स्वंय सृष्टि के रचयिता भी मानते हैं । रामायण के अनुसार, हनुमान जी वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ पुरुष हैं। इनका शरीर अत्यंत मांसल एवं बलशाली है। उनके कंधे पर जनेऊ लटका रहता है। वह मस्तक पर स्वर्ण मुकुट धारण किए हुए हैं तो वहीं उनका मुख्य अस्त्र गदा माना जाता है। बाल्मिकी की रामायण के अनुसार इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं।
मंगलदोष से पीड़ित हैं
अगर आप मंगलदोष से पीड़ित हैं तो हर मंगलवार आप संभव हो तो व्रत रखें और अगर व्रत ना रख पाएं तो विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करें, ये आपको सुख, शांति और समृद्दि तो देगा ही आपको दोष मुक्त भी करेगा।
ये हैं वो मंत्र
- ऊं रूवीर्य समुद्भवाय नम:
- ऊं शान्ताय नम:
- ऊं तेजसे नम:
- ऊंप्रसन्नात्मने नम:
- ऊं शूराय नम:
वज्रांग मन्दिर
कुछ पौराणिक कथाओं में हुनमान जी को वानर का वंशज कहा गया है जिसके कारण ही विराट नगर (राजस्थान) के वज्रांग मन्दिर में उनके वानर रूप की पूजा की जाती है।
लंका-दहन
परन्तु गोभक्त महात्मा रामचन्द्र वीर ने एक ऐसा मंदिर बनावाया जिसमें हनुमान जी की बिना बन्दर वाले मुख की मूर्ति स्थापित की है। रामचन्द्र वीर ने हनुमान जी जाति वानर बताई है, शरीर नहीं। वीर के हिसाब से हुनुमान जी ने लंका-दहन करने के लिए वानर रूप धरा था।
शादी सूर्य पुत्री सुवर्चला से हुई थी
पवनपुत्र हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि वो बाल ब्रह्मचारी हैं और इसी कारण कई जगहों पर विवाहित स्त्रियों को उनकी पूजा करने और उनकी मूर्ति को छूने से रोका जाता है। लेकिन पाराशर संहिता के मुताबिक महाबलशाली रूद्र अवतार हनुमान जी शादी-शुदा थे और उनकी शादी सूर्य पुत्री सुवर्चला से हुई थी,सुवर्चला, सूर्य पुत्री थीं।संहिता में लिखा है कि सूर्य देव से, जो विद्या हनुमान जी सीखना चाहते थे, वो केवल शादी-शुदा लोगों को ही दी जाती थी। इस कारण हनुमान जी ने शादी की थी लेकिन विद्या सीखने के बाद ही सुवर्चला अंतरध्यान हो गईं जिसके कारण हनुमान जी ब्रह्मचारी ही बने रहे।
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