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Guru Purnima 2019: संकटों से बाहर निकालेंगे आपके गुरुदेव

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊंचा माना गया है क्योंकि सच्चा गुरु ही अपने शिष्य को ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग बताता है। गुरु के बताए रास्ते पर चलकर शिष्य अपने जीवन में जो चाहे वह हासिल कर सकता है। गुरु का महत्व केवल ज्ञान प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गुरु अपने शिष्य को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से भी मुक्ति दिलाकर मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ाता है। गुरु के सानिध्य से शिष्य अध्यात्म की अनंत ऊंचाइयों को आसानी से छू लेता है। गुरु के महत्व को केवल एक दिन में नहीं बांधा जा सकता, लेकिन फिर भी कोई तो ऐसा दिन अवश्य होना चाहिए जिस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर सके। वह एक दिन होता है गुरु पूर्णिमा का दिन।

 गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा म

गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा म

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा मनाई जाती है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई मंगलवार को आ रही है। गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की पूजा की जाती है। उनके चरणों का पूजन किया जाता है। इस दिन केवल गुरु ही नहीं बल्कि अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों की पूजा भी की जाती है। खासकर माता-पिता, बड़े भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी आदि के चरण पूजन कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

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 कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिवस

कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिवस

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन महाभारत के रचियता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिवस भी होता है। महाभारत के साथ सभी 18 पुराणों के रचियता भी महर्षि व्यास को माना जाता है। वेदव्यास को आदिगुरु भी कहा जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन वेदव्यास की पूजा की जाती है।

कैसे करें गुरु पूजन

कैसे करें गुरु पूजन

गुरु पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से गुरु पूजन का आयोजन करना चाहिए। जीवित गुरु का पूजन उनके समक्ष उपस्थित होकर करना चाहिए। गुरु पूजन में मुख्य रूप से गुरु के चरणों का पूजन किया जाता है। इसके लिए गुरु के चरणों को एक थाल में रखकर उन्हें शुद्ध जल, कच्चे दूध और फिर जल से धोना चाहिए। फिर चरणों को थाल में से निकालकर एक स्वच्छ कपड़े से पोंछकर एक साफ लाल या पीले वस्त्र पर रखें। फिर हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प आदि से चरण पूजन करें। गुरु को कोई भेंट अवश्य दें। गुरु के पास कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। भेंट में वस्त्र, मिठाई, फल, फूल आदि कुछ भी हो सकता है, जो शिष्य की श्रद्धा भक्ति और क्षमता हो। इसके बाद गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करें।

चित्रों का पूजन करें

जिन शिष्यों के गुरु इस संसार से विदा हो चुके हैं वे उनके चित्रों का पूजन करें। भेंट के निमित्त गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि भेंट करें। जिन लोगों के गुरु दूरस्थ स्थानों पर रहते हैं और वहां प्रत्यक्ष जाना संभव नहीं हो तो वे भी उनके चित्र का पूजन कर सकते हैं।

क्या हैं लाभ

क्या हैं लाभ

  • गुरु पूर्णिमा पूजन के अनेक लाभ शिष्य के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से साकार होते देखे जा सकते हैं।
  • गुरु पूजन से जीवन का सच्चा मार्ग प्रशस्त होता है।
  • आध्यात्मिकता का विकास होता है। अध्यात्म के मार्ग पर जातक चलने लगता है।
  • गुरु पूजन से तन-मन के विकार दूर होने लगते हैं। संयम, धैर्य और नैतिकता जैसे गुण पल्लवित होते हैं।
  • जीवन के अनेक संकटों का समाधान स्वतः होने लगता है।
  • इस दिन गुरु द्वारा प्रदान किए गए मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।

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English summary
Guru Purnima is celebrated on the full moon day (Purnima) in the Hindu month of Ashadha (June–July) of the Shaka Samvat, as it is known in the Hindu calendar of India and Nepal.
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