कालसर्प और पुष्य नक्षत्र में होने जा रहे चंद्रग्रहण में अलग-अलग राशि की गर्भवती महिलाओं के लिए उपाय
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नई दिल्ली। 31 जनवरी 2018, बुधवार माघ पूर्णिमा के दिन हो रहा खग्रास चंद्र ग्रहण दो विशेष योगों में हो रहा है। पहला योग है पुष्य नक्षत्र में ग्रहण का प्रारंभ और दूसरा योग है कालसर्प योग। इसके साथ ही ग्रहण कर्क राशि यानी चंद्र की अपनी राशि में भी हो रहा है। इन सब योगों का मनुष्य, प्रकृति और पर्यावरण पर व्यापक असर होने वाला है। गर्भवती स्त्रियों के लिए भी इस ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता होगी।
आइये जानते हैं क्या होगा इसका असर...
ग्रहण काल में सुख-समृद्धि, सौभाग्य के लिए करें सप्तदीप प्रयोग
कालसर्प योग: ग्रह गोचर के अनुसार 31 जनवरी को सायं 5.18 बजे जब ग्रहण प्रारंभ होगा उस समय कर्क राशि लग्न में होगी। इसमें चंद्र और राहु तथा सप्तम स्थान मकर राशि में सूर्य, बुध, शुक्र और केतु होंगे। इस प्रकार प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु के कारण बन रहा यह कालसर्प योग अनंत कालसर्प योग है।
जातकों को भयानक मानसिक कष्टों से गुजरना पड़ता है...
इस कालसर्प योग के परिणामस्वरूप जातकों को भयानक मानसिक कष्टों से गुजरना पड़ता है। मन विचलित रहता है। व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित हो जाती और वह अपनों से भी छल-कपट करने लग जाता है।
अनंत कालसर्प योग
अनंत कालसर्प योग के कारण कोर्ट-कचहरी, पुलिस, कर्ज में डिफाल्टर होने जैसी नौबत आती है। व्यापार-व्यवसाय में बड़े अप-डाउन आते हैं। चूंकि यह कालसर्प योग 31 जनवरी शाम 5.18 बजे के ग्रह गोचर में हो रहा है और इसी समय मन और मस्तिष्क के स्वामी चंद्र को ग्रहण लग रहा है इसलिए सभी राशि वाले जातकों को इससे संबंधित परिणाम भुगतना होंगे।
चंद्रमा जल का प्रतिनिधि ग्रह
चूंकि चंद्रमा जल का प्रतिनिधि ग्रह भी है इसलिए कोई बड़ी जल आपदा के संकेत भी हैं। ग्रहण का असर तीन माह तक रहता है। इसलिए आगामी तीन माह में कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा, समुद्र में भूकंप, दुनिया के किसी भी हिस्से में जल प्रलय जैसी आशंका रहेगी। बड़ी वाहन दुर्घटना भी हो सकती है।
पुष्य नक्षत्र में ग्रहण का प्रारंभ
ग्रहण का प्रारंभ पुष्य नक्षत्र में और समाप्ति अश्लेषा नक्षत्र में होगा। पुष्य नक्षत्र पर शनि का आधिपत्य है इसलिए यह स्थिति भी ठीक नहीं कही जा सकती। इसलिए पुष्य-अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे स्त्री-पुरुषों को विशेष सावधानी रखना होगी। ये लोग किसी भी रूप में ग्रहण का दर्शन न करें।
गर्भवती महिलाएं क्या करें
कर्क राशि, कर्क लग्न में प्रारंभ हो रहे इस चंद्र ग्रहण का असर सभी राशि की गर्भवती महिलाओं पर होगा। जिनकी राशि के लिए शुभ है, जिनके लिए अशुभ हैं और जिनके लिए मिश्रित फलदायी हैं उन्हें भी ग्रहण के दौरान सावधानी रखने की आवश्यकता होगी। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर बिलकुल न निकलें। आइये जानते हैं अलग-अलग राशि की महिलाएं ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए क्या सावधानी रखें।
कष्टकारी: मेष, कर्क, सिंह, धनु
यह ग्रहण इन राशि वालों के लिए कष्टकारी रहेगा। इन राशि की गर्भवती महिलाएं प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में ग्रहण न देखें। ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व तुलसी पत्र को गाय के गोबर में मिलाकर लेप बना लें और इसे अपने गर्भ पर लगा लें। ग्रहण के दौरान संभव हो तो एक जगह बैठकर तुलसी की माला से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। तुलसी की माला अपने साथ ही रखें। इसे ग्रहण काल के दौरान अपने से अलग न करें।
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शुभ: वृषभ, कन्या, तुला, कुंभ
इन चार राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ परिणामकारक है, लेकिन इन राशि की गर्भवती महिलाओं को सावधानी रखना होगी। तुलसी पत्र और गाय के गोबर का लेप गर्भ पर करना आवश्यक रहेगा। किसी भी प्रकार के चाकू, छुरी, कैंची, ब्लैड या काटने वाली वस्तु का प्रयोग न करें। अपने खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी पत्र डालें और उसी का प्रयोग करें। ग्रहण काल के दौरान ऊं कृं कृष्णाय नमः मंत्र का मानसिक जाप करें। अपने गर्भ पर पीला रेशमी कपड़ा ढंककर रखें।
मिश्रित: मिथुन, वृश्चिक, मकर, मीन
इन चार राशि वाली गर्भवती महिलाओं को ग्रहण का मिलाजुला परिणाम मिलेगा। तुलसी पत्र और गोबर का लेप गर्भ पर करना इन राशि वाली महिलाओं के लिए भी आवश्यक होगा। लाल चंदन की माला धारण करके रखें। ग्रहण के दौरान कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहेगा। ग्रहण के दौरान चांदी का एक चंद्रमा अपने पास रखें और ग्रहण समाप्ति के बाद इसे किसी मंदिर में दान कर दें। ग्रहण के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का मानसिक जाप करें।
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