अक्षय तृतीया पर खरीदें सोना, करें दान-पुण्य भर जाएंगे भंडार
नई दिल्ली। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। यह वर्ष के स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में से एक है इसलिए इसका बड़ा महत्व है। इस दिन बिना पंचांग शुद्धि देखे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह तिथि धन-धान्य, सुख-सौभाग्यकारी मानी गई है। इस बार अक्षय तृतीया 7 मई मंगलवार को आ रही है। इसी दिन से मंगल के मिथुन राशि में प्रवेश करने के साथ ही विशेष ग्रह संयोग भी बन रहे हैं। इनमें मंगल-राहु का अंगारक योग, मंगल-शनि का समसप्तक योग और मंगल-गुरु का षडाष्टक योग शामिल है। साथ ही इस साल की अक्षय तृतीया पर ग्रहों का विशिष्ट संयोग देखने को मिलेगा। वर्ष 2003 के बाद अब इस वर्ष चार ग्रहों का संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में, चंद्र अपनी उच्च राशि वृषभ में और राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में गोचर करेगा।
अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन विष्णु के नर और नारायण अवतार लेने के साथ त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। इस दिन स्वर्ण खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही पवित्र नदियों में स्नान करके दान-पुण्य करने से करोड़ों यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है। जैसा कि 'अक्षय" नाम से ही ज्ञात है, इस तिथि में किए गए कार्य का फल कभी नष्ट नहीं होता। इस दिन किए गए दान का अक्षय पुण्य मिलता है।
स्वर्ण पूजा जरूर करें
अक्षय तृतीया पर स्वर्ण खरीदने का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से घर में हमेशा संपन्न्ता बनी रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वर्ण पर वैसे तो सभी ग्रहों का आधिपत्य माना जाता है लेकिन यह विशेषतौर पर बृहस्पति की प्रतिनिधि धातु है। कमर के नीचे सोना धारण नहीं किया जाता है क्योंकि यह लक्ष्मी का प्रतीक है। इसीलिए स्वर्ण की पायल या बिछिया नहीं पहनी जाती है। जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति खराब हो उन्हें शुद्ध सोना धारण करने से बचना चाहिए। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का सबसे अच्छा समय दोपहर का माना जाता है। शुद्ध सोना नहीं खरीद सकें तो सोने की पॉलिश वाला कोई आभूषण जरूर खरीदें। अक्षय तृतीया के दिन दान देने के लिए धातु की कोई वस्तु अवश्य खरीदें। इनमें पीतल की कोई वस्तु खरीदी जा सकती है।
अक्षय तृतीया पर करें स्वर्ण के प्रयोग
अक्षय तृतीया के दिन सोने का एक चौकोर टुकड़ा बनवाएं और उस पर लक्ष्मी का बीज मंत्र 'श्रीं" खुदवाएं। इसे मां लक्ष्मी को अर्पित करें और महालक्ष्मी मंत्र 'ऊं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मयै नम:" मंत्र की एक माला कमलगट्टे की माला से जाप करें। इसके बाद इस सोने के टुकड़े को लाल धागे या सोने की चेन में गले में धारण करें। इससे घर में अक्षय संपदा के भंडार भर जाते हैं।
अक्षय तृतीया पर्व तिथि व मुहूर्त
- तृतीया तिथि आरंभ : 7 मई को सूर्योदय पूर्व : रात्रि 3.17 बजे से
- तृतीया तिथि समाप्त : 8 मई को सूर्योदय पूर्व : रात्रि 2.17 बजे
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