Ketu Effect: केतु बदलने जा रहा है राशि, जानिए अपना लाभ हानि
नई दिल्ली। एक राशि में 18 महीने भ्रमण करने वाले राहु और केतु 23 सितंबर 2020 बुधवार को अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। राहु और केतु दोनों ग्रह विपरीत दिशा में गोचर करते हैं इसलिए ये जब भी राशि परिवर्तित करते हैं पिछली राशि में चले जाते हैं। इस प्रकार राहु मिथुन से वृषभ राशि में जाएंगे और केतु धनु से वृश्चिक में चले जाएंगे। इन दोनों ग्रहों के राशि परिवर्तन से सभी राशियां प्रभावित होंगी। चूंकि केतु वृश्चिक राशि में उच्च का होता है, इसलिए यहां यह दोगुने प्रभाव देगा। अर्थात् यदि किसी राशि के लिए यह शुभ है तो उसे दोगुना शुभ फल देगा और यदि किसी के लिए विपरीत है तो उसके जीवन में दोगुनी परेशानियां आ सकती हैं।
केतु के बारे में
- केतु एक राशि में 18 माह रहता है। इस प्रकार इसको संपूर्ण बारह राशियों के एक चक्र को पूरा करने में 18 वर्ष का समय लग जाता है।
- अंग्रेजी में इसे ड्रैगंस टेल कहते हैं।
- केतु का प्रभाव व्यक्ति के पेट पर सर्वाधिक होता है।
- यह ग्रह 48 से 54 वर्ष की आयु में अपना विशेष प्रभाव दिखाता है।
- केतु मीन, कन्या, वृषभ और धनु के उत्तरार्ध में बलवान होता है।
- केतु वृश्चिक और धनु राशि में उच्च का होता है।
- वृषभ और मिथुन राषि में नीच का होता है।
- स्वगृही कन्या में होता है। इसके मित्र ग्रह हैं बुध, शुक्र, शनि, राहु और शत्रु हैं सूर्य, चंद्र, मंगल।
- 3, 6, 11 वें स्थान का कारक है।
- किसी जातक की जन्मकुंडली में इसकी महादशा 7 वर्ष की लगती है।
- यह कृष्णवर्ण का क्रूर ग्रह है। इससे चर्मरोग, नाना, हाथ-पैर, क्षुधाजनित रोग आदि का ज्ञान किया जाता है।
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राशियों पर प्रभाव
शुभ:
मिथुन,
कन्या,
वृषभ,
तुला,
मकर,
कुंभ।
अशुभ:
सिंह,
कर्क,
मेष,
वृश्चिक।
रक्षा के उपाय
दान: उड़द, कंबल-कस्तूरी, वैदूर्यमणि, लहसुनिया, काले पुष्प, तिल-तेल, रत्न-सुवर्ण, लोहा, शस्त्र, सप्तधान्य, वर्ण-दक्षिणा, जप संख्या 17000.
शांति मंत्र
ओम क्लां क्लीं क्लूं सः केतवे स्वाहाः
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