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Diwali 2019: दीपावली पर क्यों खास होती है यंत्र पूजा?

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। यंत्र और मंत्र में साक्षात देवताओं का वास होता है। मंत्र यदि देवी या देवता की आत्मा है तो यंत्र उनका शरीर। इसीलिए मंत्रों के साथ यंत्रों की पूजा भी सर्वशक्तिशाली मानी गई है। दीपावली पर सबसे ज्यादा यंत्रों की पूजा की जाती है। इनमें श्रीयंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र, अष्टलक्ष्मी यंत्र, कनकधारा यंत्र आदि अनेक प्रकार के यंत्र हैं जिनकी पूजा दीपावली पर महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए की जाती है। लेकिन माता लक्ष्मी से संबंधित समस्त यंत्रों में श्री यंत्र को इन सभी यंत्रों का राजा कहा गया है, क्योंकि इस यंत्र में लक्ष्मी अपने पूर्ण स्वरूप के साथ विराजमान है।

आइए जानते हैं श्री यंत्र सहित अन्य यंत्रों के बारे में

श्री यंत्र

श्री यंत्र

श्रीयंत्र एक विशेष प्रकार का ज्यामितिय नक्शा होता है, जिसका उपयोग प्राचीन काल में विद्वान मनीषियों ने ब्रह्मांड के रहस्य जानने और धन संपदा प्राप्ति के लिए किया। नवचक्रों से बने श्रीयंत्र में चार शिव चक्र, पांच शक्ति चक्र होते हैं। इसमें 43 कोण एक विशेष संयोजन में जमे होते हैं जिनमें 28 मर्म स्थान और 24 संधियां बनती हैं।

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मर्म स्थान

मर्म स्थान

इसमें तीन रेखाओं के मिलन को मर्म स्थान और दो रेखाओं के मिलन को संधि कहा जाता है। श्रीयंत्र के बारे में कहा जाता है कि यह न केवल देवी की असीमित शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह साक्षात महालक्ष्मी का ज्यामितिय रूप है। श्रीयंत्र की अधिष्ठात्री देवी स्वयं श्रीविद्या यानी त्रिपुर सुंदरी देवी हैं। यह अत्यंत शक्तिशाली ललितादेवी का पूजा चक्र है और इसे त्रैलोक्य मोहन यंत्र भी कहा जाता है। श्रीयंत्र को अपने घर या प्रतिष्ठान में स्थापित करने के लिए इसे प्रातःकाल गंगाजल, कच्चे दूध और पंचगव्यों से धोकर शुद्ध कर लें। इसे लाल रेशमी वस्त्र पर रखें। इसके बाद इस पर चंदन से सात बिंदियां लगाएं। ये सात बिंदी देवी के सप्तरूप का प्रतीक हैं। इस पर लाल गुलाब के पुष्प अर्पित करें और मिश्री का भोग लगाएं। इसके बाद श्रीविद्या के प्रमुख मंत्र की एक माला जाप करें।

महालक्ष्मी यंत्र

महालक्ष्मी यंत्र

मंत्र: ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

देवी लक्ष्मी को प्रसन्न् करने के लिए दीपावली के दिन महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना-पूजा भी की जाती है। इस यंत्र को दीपावली की पूजा में रखकर सिद्ध करने और महालक्ष्मी के मंत्र ऊं महालक्ष्म्यै नम: की सात माला कमलगट्टे की माला से जाप किया जाए तो इसके प्रभाव से धनवृद्धि होने लगती है।


कुबेर यंत्र : देवताओं के कोषाध्यक्ष माने गए हैं यक्षराज कुबेर। इसलिए धनतेरस पर खासतौर पर कुबेर की पूजा की जाती है। इन्हें प्रसन्न् करने के लिए धनतेरस या दीपावली के दिन कुबेर यंत्र की स्थापना पूजा करना चाहिए । पूजन के बाद इनके मंत्र की 11 माला जाप करने से यंत्र सिद्ध हो जाता है। शास्त्रों का कथन है कि कुबेर मंत्र को बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे बैठकर सिद्ध करना चाहिए। इनका मंत्र है : ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहिम दापय स्वाहा।

कनकधारा यंत्र : आदि शंकराचार्य ने एक वृद्धा की दरिद्रता दूर करने के लिए कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी। इसके पाठ से उन्होंने वृद्धा की कुटिया में सोने के आंवलों की वर्षा करवाई थी। इसी कनकधारा स्तोत्र का यंत्र स्वरूप कनकधारा यंत्र है। अटूट धन की प्राप्ति और दरिद्रता दूर करने के लिए इस यंत्र की विशेष पूजा दीपावली के दिन करके फिर लगातार करना चाहिए। इस यंत्र से अष्टसिद्धियां और नवनिधियां प्राप्त होती है।

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English summary
Diwali or Deepavali is the Hindu festival of lights celebrated every year in autumn in the northern hemisphere.Read Importance of Yantra Pooja on this auspicious day.
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