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श्राद्ध होते हैं 12 प्रकार के, जानिए विस्तार से उनका महत्व
लखनऊ। शास्त्रों में समस्त जनमानस के लिए तीन ऋणों का मुख्यतः उल्लेख किया जाता है। देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण। इनमें से श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण से मुक्ति का निर्देश दिया गया है।
पितृ पक्ष में कैसे किया जाता है तर्पण, क्या है इसका महत्व?
निर्णय सिन्धु में- 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है...
- नित्य श्राद्धः कोई भी व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुशा, पुष्प व फल से प्रतिदिन श्राद्ध करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकता है।
- नैमित्तक श्राद्ध- यह श्राद्ध विशेष अवसर पर किया जाता है। जैसे- पिता आदि की मृत्यु तिथि के दिन इसे एकोदिष्ट कहा जाता है। इसमें विश्वदेवा की पूजा नहीं की जाती है, केवल मात्र एक पिण्डदान दिया जाता है।
- काम्य श्राद्धः किसी कामना विशेष के लिए यह श्राद्ध किया जाता है। जैसे- पुत्र की प्राप्ति आदि।
पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी
- वृद्धि श्राद्धः यह श्राद्ध सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है।
- सपिंडन श्राद्ध- मृत व्यक्ति के 12 वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है। इसे स्त्रियॉ भी कर सकती है।
- पार्वण श्राद्धः पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी, परदादी, व सपत्नीक के निमित्त किया जाता है। इसमें दो विश्वदेवा की पूजा होती है।
- गोष्ठी श्राद्धः यह परिवार के सभी लोगों के एकत्र होने के समय किया जाता है।
- कर्मागं श्राद्धः यह श्राद्ध किसी संस्कार के अवसर पर किया जाता है।
- शुद्धयर्थ श्राद्धः यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।
- तीर्थ श्राद्धः यह श्राद्ध तीर्थ में जाने पर किया जाता है।
- यात्रार्थ श्राद्धः यह श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है।
- पुष्टयर्थ श्राद्धः शरीर के स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए त्रयोदशी तिथि, मघा नक्षत्र, वर्षा ऋतु व आश्विन मास का कृष्ण पक्ष इस श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है।
- प्रतिपदा तिथि को नाना का श्राद्ध किया जाता है।
- चतुर्थी या पंचमी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु गतवर्ष हुयी है।
- अपने जीवन काल में मरने वाली स्त्री का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है।
- युद्ध, दुर्घटना या आत्महत्या आदि में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि में किया जाता है।
- आमावस्या तिथि को सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।
- पीपल व बरगद के पेड़ की नियमित पूजा करने से पितृ दोष का शमन होता है।
- अपने माता-पिता व भाई-बहन की हर सम्भव सहयाता व सहयोग करें।
- प्रत्येक अमावस्या को खीर का भोग लगाकर दक्षिण दिशा में पितरों का अवाहन करके ब्राह्रणों यथा शक्ति दक्षिणा देकर भोजन करायें।
- सूर्योदय के समय सूर्य के सामने खड़े होकर गायत्री मन्त्र का जाप करने से लाभ मिलता है।
- ऊॅ नवकुल नागाय विदहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात'' मन्त्र की एक माला का पितृ पक्ष में नियमित जाप करना चाहिए।
- घर की पलंगों पर मोर का पंख लगाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रातः 9 बजे से 10: 30मिनट के मध्य में थोड़ा कोयला नदीं में प्रवाहित करना चाहिए।
संस्कार के अवसर
श्राद्ध यात्रा की सफलता
पितृ पक्ष के विशेष दिन
पितरों को प्रसन्न करने के कुछ सरल उपाय
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English summary
There are various types of Shraddha. Shraddha has five main categories. The first 3 categories are described in Matsya Purana.
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