पूर्व जन्म के कर्मों से इस जन्म में बनता है नाग दोष, जानिए क्या होता है असर, कैसे बचें
नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में वर्णित सबसे खतरनाक दोषों में से एक है नाग दोष। यह दोष जातक के पूर्व जन्म के कर्मों और उसकी मृत्यु की प्रकृति के अनुसार इस जन्म में बनता है। इस दोष का निर्माण मुख्यत: राहु के कारण होता है क्योंकि राहु का संबंध नाग से होता है। वैदिक ज्योतिष की परिभाषा के अनुसार किसी जातक की जन्मकुंडली में जब राहु या केतु पहले स्थान में चंद्रमा या शुक्र के साथ हों तो उसकी कुंडली में नाग दोष होता है। इस दोष का प्रभाव जातक के जीवन में दोष के कमजोर या बलशाली होने के कारण अलग-अलग होता है।
क्यों बनता है नाग दोष
किसी जातक की जन्मकुंडली में नाग दोष तब बनता है जब पूर्व जन्म में उसकी मृत्यु किसी आकस्मिक दुर्घटना, आग में जलने, जहर खाने, स्वयं फांसी लगा लेने के कारण होती है। यदि जातक ने अपने पूर्व जन्म में किसी अजन्मे बच्चे की हत्या की हो यानी गर्भ में किसी बच्चे की हत्या की हो। काला जादू करके किसी को मौत के घाट उतारा हो तब मृत्यु के बाद उसके अगले जन्म में नाग दोष बनता है। जिस जातक के अंतिम संस्कार में किसी प्रकार की त्रुटि रह गई हो या उसका अंतिम संस्कार किसी वजह से देरी से हुआ है या शरीर के सभी अंगों का अंतिम संस्कार एक साथ नहीं किया गया हो तो भी उसके अगले जन्म में नाग दोष बनता है।
नाग दोष के प्रभाव
नाग दोष से प्रभावित जातकों के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां देखने में आती हैं। जातक को बार-बार दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। संभव है कि उसकी मृत्यु भी दुर्घटना में हो। ऐसे जातक का विवाह होने में अत्यधिक रूकावटें आती हैं, खासकर महिलाओं का विवाह बड़ी ही मुश्किलों के बाद होता है या कई महिलाओं का विवाह तो होता ही नहीं है। नाग दोष से पीड़ित जातकों का विवाह यदि हो भी जाए तो तलाक अवश्य हो जाता है। इन जातकों को स्वप्न में सांप डराते हैं और इसके कारण इनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। नाग दोष से पीड़ित कई जातकों को पागलपन के दौरे आते हैं। इनको संतान प्राप्ति में भी बाधा आती है। ऐसा जातक बुरे कार्यों में संलग्न रहता है और वही कार्य उसके पतन का कारण बनते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ऐसे जातक बेहद कमजोर होते हैं। इन्हें कोई यौन रोग होता है।
नाग दोष का निवारण कैसे करें
- जिस जातक की जन्मकुंडली में नाग दोष होता है उसे उससे मुक्ति के उपाय जरूर करना चाहिए। नाग दोष के प्रभाव को कम करने के लिए किसी भी माह के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि के दिन सर्प परिहार पूजा करवाना होती है।
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भगवान
शिव
की
आराधना
से
नाग
दोष
शांत
होता
है।
प्रतिदिन
काले
पत्थर
के
शिवलिंग
पर
कच्चा
दूध
और
जल
अर्पित
करें।
शिवलिंग
ऐसा
हो
जिस
पर
सर्प
लगा
हुआ
हो।
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किसी
योग्य
पंडित
से
महामृत्युंजय
पूजा,
रूद्राभिषेक
किसी
सिद्ध
शिव
मंदिर
में
करवाएं।
12
ज्योतिर्लिंग
में
से
किसी
एक
जगह
जाकर
यह
पूजा
करवाएं।
-
महाशिवरात्रि
का
व्रत
करें
और
इस
दिन
रूद्राभिषेक
करवाएं।
-
प्रतिदिन
रूद्राक्ष
की
माला
से
'ऊं
नम:
शिवाय:"
मंत्र
की
सात
माला
जाप
करें।
-
घर
पर
मोर
पंख
रखने
से
नाग
दोष
का
शमन
होता
है।
-
शिवरात्रि
या
नागपंचमी
के
दिन
पंचधातु
से
बनी
अंगूठी
धारण
करें।
-
राहु
की
शांति
के
लिए
चांदी
की
अंगूठी
में
मध्यमा
अंगुली
में
गोमेद
पहनें।