Chandra Grahan 2019: भारत में दिखा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, 149 साल बाद बना दुर्लभ संयोग
नई दिल्ली। देशभर के कई हिस्सों में बीती रात तकरबीन 4:30 मिनट तक चंद्र ग्रहण रहा, यह ग्रहण आंशिक था, जिसे अलग-अलग शहरों में देखा गया। बता दें कि यह इस वर्ष का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण था। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से तकरीबन 9 घंटे पहले यानि शाम को 4.30 बजे शुरू हुआ था। ग्रहण को ना सिर्फ भारत बल्कि ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में भी देखा गया। ग्रहण समाप्त होने के बाद देश के तमाम मंदिरों के कपाट खुले और घंटियां बजने लगी।
दूसरा ग्रहण
इस वर्ष का यह दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण रात तकरीबन 1.31 बजे शुरू हुआ, यह आज शाम से पहले खत्म हो जाएगा। चंद्र ग्रहण पूरी तरह से तकरीबन तीन बजे देखा गया, इस वक्त आसमान में ऐसा दिख रहा था जैसे चांद के एक टुकड़े को किसी ने काट दिया हो। बता दें कि चंद्र ग्रहण उस वक्त होता है जब चांद धरती से सीधे गुजरता है और इसकी छाया धरती पर पड़ती है। यह तभी होता जब सूरज, धरती और चांद एक दूसरे के बिल्कुल करीब होते हैं और धरती चांद और सूरज के बीच में आ जाती है।
कब होता है ग्रहण
गौर करने वाली बात है आंशिक चंद्र ग्रहण तभी होता है जब पूर्णिमा होती है, यानि चांद पूरी तरह से दिखता है। चंद्र ग्रहण के दौरान धरती की छाया चांद के सिर्फ एक हिस्से पर पड़ती है, जिसकी वजह से चांद पर काले रंग का एक धब्बा दिखाई देता है। चंद्र ग्रहण वो खगोलीय स्थिति है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं इसी ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। वैसे ग्रहण का शाब्दिक अर्थ होता है, ग्राह्य, अंगीकार, स्वीकार, धारण या प्राप्त करना। लिहाजा आध्यात्मिक मान्यताएं ग्रहण काल में जप, तप, उपासना, साधना, ध्यान और भजन का निर्देश देती हैं। आंशिक चंद्र ग्रहण को दिल्ली में रात में 1.31 बजे देखा गया।
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क्या है हिंदू मान्यता
हिंदू मान्यता के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का पवित्र काम नहीं किया जाता है और ना ही शुभ काम की शुरुआत की जाती है। परंपरा के अनुसार देश के कई प्रसिद्ध मंदिरों को चंद्र ग्रहण की वजह से बंद कर दिया गया था। लोगों को निर्देश दिया गया था कि वह पूजा को ग्रहण से पहले या ग्रहण के बाद करें। यही नहीं लोगों को यह भी सुझाव दिया गया था कि वह ग्रहण के पहले या ग्रहण के बाद ही स्नान करें। इस दौरान लोगों को खाना खाने या बनाने के लिए भी मना किया गया था।