Chandra Grahan 2018: क्या सच में चंद्रग्रहण से गर्भवती महिलाओं को है खतरा?
नई दिल्ली। शुक्रवार की रात को सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है, चंद्र ग्रहण की शुरुआत भारतीय समय के मुताबिक 27 जुलाई को रात 11 बजकर 54 मिनट 02 दो सेकेंड पर होगी, जबकि पूर्ण चंद्रग्रहण रात 01 बजकर 51 मिनट 08 सेकेंड पर होगा। चंद्र ग्रहण के दौरान 'ब्लड मून' देखने को मिलेगा यानी इस दौरान चांद लाल रंग का दिखेगा, वैसे तो ये खगोलीय घटना है लेकिन हमारे यहां इसे धर्म से जोड़ दिया गया है इसलिए ग्रहण के वक्त ना तो लोग कुछ खाते-पीते हैं और ना ही शुभ काम करते हैं, इस दौरान लोगों को कहा जाता है कि वो पूजा-पाठ करें, घरों को शुद्द रखें और ईश्वर का ध्यान करें।
चाकू, कैंची आदि का प्रयोग
गर्भवती महिलाओं से कहा जाता है कि वो इस वक्त ना तो कोई चीज काटे और ना ही सूई-धागे का प्रयोग करें क्योंकि इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर फर्क पड़ता है। ग्रहण के वक्त चाकू, कैंची आदि का प्रयोग करने से बच्चे के होंठ और कान कट जाते हैं।
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चंद्रग्रहण में बाहर ना निकलें
गर्भवती महिलाओं और कुंवारी लड़कियों को भी ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने से रोका जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान जो कालिमा और तरंगे बाहर निकलती हैं, वो दोनों के लिए सही नहीं हैं।
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ऊंचे स्वरों में मंत्रों का जाप करें
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला से कहा जाता है कि वो ऊंचे स्वरों में मंत्रों का जाप करे, जिसके पीछे धार्मिक कारण जो भी हो, वैज्ञानिक तथ्य ये कहते हैं कि ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा पड़ती है। मंत्रों के उच्चारण में उठने वाली तरंगें घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं, ऊंचे स्वर होने के कारण दिमाग केवल मंत्रों को ही सुनता और समझता है जिसके कारण निगेटिव चीजें गायब हो जाती हैं।
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