5 जून को पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण, भारत में नहीं लगेगा सूतक, जानिए कहां देगा दिखाई?
नई दिल्ली। एक बार फिर दुनिया चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण की गवाह बनने जा रही है, दरअसल एक महीने के अंदर तीन ग्रहण बनने जा रहे हैं, 5 जून को चंद्र ग्रहण, 21 जून को खंडग्रास सूर्यग्रहण और 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण का योग बना है, शुक्रवार को बनने वाला ग्रहण उपच्छाया या पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण है, धर्म के जानकारों का कहना है कि इस चंद्र ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है और ना ही इसके लिए कोई सूतक और नियम मानने की आवश्यकता है।
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कब लगेगा ग्रहण और कहां दिखेगा
चंद्रग्रहण 5 जून की रात को 11 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगा। फिर 6 जून की रात को 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। यह चंद्रग्रहण दुनिया के कुछ हिस्सों में थोड़े समय के लिए ही दिखाई देगा। अधिकांश एशिया (भारत सहित), ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण / पूर्व दक्षिण अमेरिका, यूरोप, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर और अंटार्कटिका के अधिकांश हिस्से में स्काईवॉचर्स कल प्रायद्वीपीय चंद्र ग्रहण देख सकते हैं।
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कब लगता है उपच्छाया चंद्रग्रहण
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है। ये पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग होता है। इस दौरान, चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरा दिखाई देता है।
पूर्णिमा के दिन ही लगता है चंद्र ग्रहण
वैसे ग्रहण एक खगोलीय अवस्था है जिसमें कोई खगोलिय पिंड जैसे ग्रह या उपग्रह किसी प्रकाश के स्रोत जैसे सूर्य और दूसरे खगोलिय पिंड जैसे पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे प्रकाश का कुछ समय के लिये अवरोध हो जाता है। चंद्रग्रहण में चांद और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है। ऐसी स्थिती में चांद पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है। ऐसा सिर्फ पूर्णिमा के दिन संभव होता है।
अगर चांद नहीं होता तो...
अगर चांद नहीं होता तो धरती पर दिन-रात 24 घंटे के बजाए सिर्फ छह से 12 घंटे का ही होता। एक साल में 365 दिन नहीं बल्कि 1000 से 1400 के आसपास दिन होते। विज्ञान के हिसाब से चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण कम है इसी कारण चंद्रमा पर पहुंचने पर इंसान का वजन कम हो जाता है और ये अंतर करीब 16.5 फीसदी तक होता है
सौर मंडल का 5वां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह
चंद्रमा एक उपग्रह है जो कि पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। इसका जन्म 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी से हुई एक टक्कर के बाद चंद्रमा का जन्म हुआ था। यह सौर मंडल का 5वां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 384, 403 किलोमीटर है।
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