Chandra Grahan खत्म, खुले मंदिरों के कपाट, श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी, आज जरूर करें ये काम
वाराणसी। इस साल के अंतिम चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद धर्म नगरी काशी में आस्था का जनसलाब देखने को मिला है। लोगों पूरी रात ग्रहण काल में गंगा नदी के तट पर बैठकर भजन कीर्तन करते रहे। बुधवार की सुबह करीब 4.30 बजे पर ग्रहण खत्म होने के बाद मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बने। इसी के साथ दोपहर में सूतक काल के दौरान बंद हुए मंदिरों के कपाट भी करीब 13 से 14 घंटे बाद भक्तों के लिए खोले गए और मंदिरों में साफ सफाई के बाद दर्शन पूजन का क्रम शुरू हो गया है।
चंद्रग्रहण खत्म, श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी
आपको बता दें कि यह चंद्रग्रहण कई मायनों में खास रहा है, इस बार चंद्रग्रहण पर वही दुर्लभ योग बना है जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर बना था, 17 जुलाई 2019 की रात करीब 1.31 बजे से ग्रहण शुरू हुआ, इसका मोक्ष 17 जुलाई की सुबह करीब 4.30 बजे हुआ।
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आज जरूर करें ये काम
- ग्रहण खत्म होते ही स्नानादि कर नए वस्त्र पहनें।
- अपने पितरों को याद करें दान करें।
- अगर आसपास कोई धार्मिक स्थल है तो वहां जाएं।
- अगर आस-पास घाट हो तो वहां जाकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
- ग्रहण काल के खत्म होने बाद देवताओं की मूर्तियों को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करना चाहिए।
- ग्रहण खत्म होते ही पौधे को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर देना चाहिए।
- घर में पोंछा लगाकर धूप-बत्ती करनी चाहिए, जिसके सारी निगेटिव ऊर्जा बाहर निकल जाए।
क्या है चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण वो खगोलीय स्थिति है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं इसी ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्र ग्रहण का प्रकार और अवधि चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। वैसे ग्रहण का शाब्दिक अर्थ होता है, ग्राह्य, अंगीकार, स्वीकार, धारण या प्राप्त करना।
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