Chandra Grahan 2018: ये कुछ उपाय करेंगे तो कभी नहीं लगेगा किसी भी ग्रहण का दोष
नई दिल्ली। ग्रहण को लेकर लोगों के मन में भय और कई तरह की शंका-कुशंकाएं होती हैं। कई लोग ग्रहण को एक दैवीय और अद्भुत घटना मानकर उसके कुप्रभावों से बचने के उपाय करते रहते हैं तो कई लोग इसे मात्र एक वैज्ञानिक घटना मानते हुए इसे देखने के लिए उत्सुक रहते हैं। इसके दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी जगह सही हैं, लेकिन यह बात भी सच है कि ग्रहण का कहीं न कहीं प्रकृति, पर्यावरण और मानव मन पर प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से असर जरूर होता है। क्योंकि सूर्य और चंद्र प्रत्यक्ष ग्रह हैं इन पर ग्रहण लगना यानी इनसे प्रवाहित होने वाली उर्जा किरणों का धरती तक न आ पाना हमारे लिए हानिकारक होता है। हमारे प्राचीन मनीषियों ने सूक्ष्म गणना करके ज्योतिष के ग्रंथ रचे हैं। उनमें जो उपाय बताए गए हैं उन्हें करने से ग्रहण के कुप्रभावों यानी दोषों से बचा जा सकता है। चंद्रग्रहण हो या सूर्यग्रहण, ये उपाय समान रूप से किए जा सकते हैं। इन उपायों को ग्रहण का सूतक प्रारंभ होने से पूर्व करना होता है, ताकि ग्रहण की कुछाया भी हम पर ना पड़ पाए।
आइए जानते हैं वे क्या उपाय हैं...
ये कुछ उपाय करेंगे तो नहीं लगेगा ग्रहण का दोष
- ग्रहण का सूतक प्रारंभ होने से पहले तुलसी की एक माला ले आएं। इसे अपने घर के पूजा स्थान में रख दें। ग्रहण का सूतक लगने से ठीक पहले इसे अपने ईष्टदेव और गुरु का नाम लेते हुए ग में धारण कर लें। यदि आपकी राशि के लिए ग्रहण खराब है तो भी इस उपाय को करने से ग्रहण के कुप्रभाव से आप बच जाएंगे।
- चंद्रग्रहण है तो चांदी का एक चंद्रमा बनवाकर ग्रहण का सूतक लगने से पहले अपनी जेब में रखें। इससे ग्रहण के दोष से बच जाएंगे। यदि सूर्यग्रहण है तो तांबे का सूर्य बनवाकर अपने पास रखें और ग्रहण समाप्ति के बाद चांदी के चंद्रमा या तांबे के सूर्य को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें।
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यह उपाय गर्भवती स्त्रियों के लिए है
यह उपाय गर्भवती स्त्रियों के लिए है। ग्रहण का सूतक प्रारंभ होने से पूर्व गर्भवती स्त्रियां एक मीटर लंबाई-चौड़ाई का एक पीला रेशमी कपड़ा लें। इस कपड़े पर केसर और चंदन की स्याही से ओम नमो भगवते वासुदेवाय लिखें और इसे अपने गर्भ यानी पेट पर इस प्रकार बांधें कि कहीं से भी पेट खुला ना रहे। इससे ग्रहण का दुष्प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं पड़ेगा। यह कपड़ा बांधकर घर से बाहर निकलने में भी कोई दिक्क्त नहीं होगी।
कालसर्प दोष
- जिन लोगों की जन्मकुंडली में कालसर्प दोष है वे ग्रहण का सूतक प्रारंभ होने से ठीक पहले चांदी का एक सर्प का जोड़ा लाकर अपने पूजा स्थान में रखकर उसका पूजन करें। ग्रहण समाप्ति के बाद इस सर्प के जोड़े को नदी में प्रवाहित कर आएं। इससे कालसर्प दोष का निवारण होता है।
- शनि की साढ़ेसाती चल रही हो या कुंडली में शनि बुरे फल दे रहा हो तो इसका उपाय भी ग्रहण के दौरान किया जाता है। ग्रहण प्रारंभ होने से पहले शमी के पौधे की कुछ पत्तियां तोड़कर ले आएं। इन्हें अपने पूजा स्थान में रखें। अब ग्रहणकाल के दौरान ओम शं शनैश्चराय नमः मंत्र की 11 माला जाप करें। ग्रहण के बाद शमी के पत्तों को नदी में प्रवाहित कर दें। इससे शनि की पीड़ा से शीघ्र मुक्ति मिलती है।
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