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बच्चों के 'मामू' और आशिकों के 'जानू' वाले चांद के बारे में जानिए कुछ दिलचस्प बातें

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नई दिल्ली। आज साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है, यह एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा जिसे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर पूरे भारत में देखा जा सकेगा। यह रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्रग्रहण भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा।

 ग्रहण का समय

ग्रहण का समय

यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी। ग्रहण काल 2 घंटा 59 मिनट का होगा। इससे पहले 16 जुलाई को सांय 4:31 मिनट पर ग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। वैसे तो ये एक खगोलीय घटना है जो कि होनी निश्चित है लेकिन लोगों ने इसको धर्म से भी जोड़ दिया है।

खैर ग्रहण होने से पहले चलिए जानते हैं चांद के बारे में कुछ खास बातें जो कि साहित्य में बच्चों के लिए 'मामू' और आशिकों के लिए 'जानू' है...

बच्चों के मामा क्यों कहलाता है चंदा?

बच्चों के मामा क्यों कहलाता है चंदा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस समय देवताओं और असुरों के बीच में समुद्र मंथन हो रहा था, उस समय समुद्र से बहुत सारे तत्व निकले थे, जिसमें मां लक्ष्मी, वारुणी,चन्द्रमा और विष भी थे। मां लक्ष्मी के छोटे भाई हैं चंद्रमा लक्ष्मी जी भगवान विष्णु के पास चली गईं, इसलिए उनके बाद जो भी तत्व निकलें वो उनके छोटे भाई और बहन बन गए। चंद्रमा उनके बाद समुद्र से निकले थे इसलिए वो उनके छोटे भाई बन गए और चूंकि लक्ष्मी को हम अपनी माता मानते हैं ना इसलिए उनके छोटे भाई हमारे मामा बन गये। इसी कारण चंदा को 'मामा' कहा जाता है। चूंकि ये सभी समुद्र के मंथन से निकले थे, इस कारण समुद्र ही इन सबके पिता कहलाते हैं।

यह पढ़ें: Lunar Eclipse 2019: 108 दिनों तक रहता है चंद्र ग्रहण का असरयह पढ़ें: Lunar Eclipse 2019: 108 दिनों तक रहता है चंद्र ग्रहण का असर

धरती माता के भाई हैं चंद्रमा

धरती माता के भाई हैं चंद्रमा

चंदा को मामा कहने की कहानी के पीछे दूसरा कारण ये भी बताया जाता है कि चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है और दिन-रात उसके साथ एक भाई की तरह रहता है, अब चूंकि धरती को हम 'मां' कहते हैं इसलिए उनके भाई हमाारे मामा हुए इसलिए चंदा को 'मामा' कहा जाता है।

शायरों और आशिकों के लिए 'जानू'

शायरों और आशिकों के लिए 'जानू'

चंद्रमा जिसका जिक्र हमारे साहित्य, काव्य और शायरियों में हमेशा हु्स्न और सुंदरता के लिए होता है, किसी को चांद में महबूबा नजर आती है तो किसी को उसमें प्यार नजर आता है, कुल मिलाकर भारतीय साहित्य में चांद का जिक्र कभी सुंदरता के लिए तो कभी प्रेम के लिए ही हुआ है।

ये भी जानिए चांद के बारे में

ये भी जानिए चांद के बारे में

  • विज्ञान के हिसाब से चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण कम है इसी कारण चंद्रमा पर पहुंचने पर इंसान का वजन कम हो जाता है और ये अंतर करीब 16.5 फीसदी तक होता है।
  • चंद्रमा एक उपग्रह है जो कि पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।
  • इसका जन्म 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी से हुई एक टक्कर के बाद चंद्रमा का जन्म हुआ था।
  • यह सौर मंडल का 5वां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है।
  • पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 384, 403 किलोमीटर है।
  • सोवियत राष्ट् का लूना-1 पहला अन्तरिक्ष यान था जो चन्द्रमा के पास से गुजरा था।
  • चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं है। वहां अत्यंत न्यून वायु है।
  • चंद्रमा से आसमान नीला नहीं बल्कि काला दिखायी देता है क्योंकि प्रकाश का प्रकीर्णन वहां नहीं होता।
  • सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार निकाय चन्द्रमा है,चन्द्रमा की तात्कालिक कक्षीय दूरी, पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है
  • इसलिए आसमान में सूर्य और चन्द्रमा का आकार हमेशा सामान नजर आता है।
  • चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है...

    चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है...

    चंद्र ग्रहण वो खगोलीय स्थिति है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं इसी ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्र ग्रहण का प्रकार और अवधि चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। वैसे ग्रहण का शाब्दिक अर्थ होता है, ग्राह्य, अंगीकार, स्वीकार, धारण या प्राप्त करना। लिहाजा आध्यात्मिक मान्यताएं ग्रहण काल में जप, तप, उपासना, साधना, ध्यान और भजन का निर्देश देती हैं।

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English summary
On July 16, 2019 a partial lunar eclipse will take place and it will be visible in South America, Europe, Africa, Asia and Australia, India, here is some Interesting facts about Moon before Lunar Eclipse.
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