Lunar Eclipse 2019: 108 दिनों तक रहता है चंद्र ग्रहण का असर
नई दिल्ली। 16 जुलाई को इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है, यह एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा जिसे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर पूरे भारत में देखा जा सकेगा। यह रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा।
ग्रहण का समय
यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी। ग्रहण काल 2 घंटा 59 मिनट का होगा। इससे पहले 16 जुलाई को सांय 4:31 मिनट पर ग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। वैसे चंद्र ग्रहण केवल धर्म के लिहाज से ही नहीं बल्कि विज्ञान के नजरिये से भी एक अहम मौका होता है। इस दौरान खगोलशास्त्री अंतरिक्ष से जुड़े शोध में लगे होते हैं।
108 दिनों तक रहता है ग्रहण का असर
ग्रहण दिखाई दे या ना दे लेकिन उसका असर समस्त पृथ्वी पर होता है। ज्योतिषीय आंकलन के अनुसार किसी भी ग्रहण का असर पृथ्वी पर 108 दिनों तक रहता है। खासकर जिस राशि और नक्षत्र पर ग्रहण हो रहा है, उससे संबंधित जातकों को विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।
यह पढ़ें: Lunar Eclipse 2019: 16 जुलाई को आंशिक चंद्र ग्रहण, आकाश में दिखेगा आधा लाल चांद
ये हो सकता है परिवर्तन
ग्रहण के बाद देश के कुछ जगहों पर खासकर के राजधानी दिल्ली में भौगोलिक स्थिति बदल सकती है, अनुमान है कि दिल्ली में 17 जुलाई को या उसके बाद तेज बारिश हो सकती है। साथ ही समुद्री क्षेत्रों में भारी बारिश होने की संभावना बन रही है, लेकिन ऐसा कोई भी अप्रिय और नकारात्मक घटना इस चंद्र ग्रहण से होती नजर नहीं आ रही है।
चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है...
चंद्र ग्रहण वो खगोलीय स्थिति है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं इसी ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्र ग्रहण का प्रकार और अवधि चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। वैसे ग्रहण का शाब्दिक अर्थ होता है, ग्राह्य, अंगीकार, स्वीकार, धारण या प्राप्त करना। लिहाजा आध्यात्मिक मान्यताएं ग्रहण काल में जप, तप, उपासना, साधना, ध्यान और भजन का निर्देश देती हैं।
यह पढ़ें: Hariyali Amavasya 2019: जानिए हरियाली अमावस्या का महत्व