बुद्ध पूर्णिमा के दिन नजर आएगा साल का आखिरी सुपरमून, वैशाख स्नान होगा समाप्त
नई दिल्ली। वैशाख माह की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र वैशाख स्नान का समापन भी होता है इसलिए यह दिन दान-पुण्य, व्रत आदि के लिए बहुत महत्वपूर्ण और सर्व सिद्धिदायक माना जाता है। इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 7 मई 2020 गुरुवार को आ रही है। इस पूर्णिमा का व्रत रखने का बड़ा महत्व है। जो लोग वैशाख स्नान नहीं करते उन्हें भी इस पूर्णिमा के दिन विशेष अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए। इससे पूरे माह का पुण्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन सुपरमून भी दिखाई देगा। यानी चंद्रमा अपने आकार से ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देगा।
क्या करें वैशाख स्नान की समाप्ति पर
वैशाख स्नान को वर्ष के सबसे बड़े पर्वों में से एक माना गया है। वैशाख स्नान करने वाले श्रद्धालु पूरे माह प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदियों में या पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान करते हैं और पूरे माह भगवान विष्णु-लक्ष्मी की आराधना करते हुए व्रत रखते हैं। बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को वैशाख स्नान का समापन हो रहा है। जिन लोगों ने वैशाख स्नान किया है वे वैशाख पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर पवित्र नदियों का जल अपने नहाने के पानी में डालकर स्नान करें। सूर्य को अर्घ्य दें और विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन संपन्न करें। पूर्णिमा की कथा श्रवण करें। दिन भर निराहार रहें। शाम को चंद्रमा उदित होने पर चंद्र दर्शन और पूजन करें। ब्राह्मण भोजन करवाएं या जरूरतमंद गरीबों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा प्रदान करें। ब्राह्मणों और घर के बुजुर्गों के आशीर्वाद लेकर व्रत की पूर्णाहुति करें।
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जलकुंभ दान से मिलेगी संकटों से मुक्ति
वैशाख पूर्णिमा के दिन जलकुंभ का दान किया जाता है। इससे यमराज की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। आकस्मिक रूप से आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है और रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके लिए एक मिट्टी का घड़ा लाएं। इसे शुद्ध जल से धोकर फिर शुद्ध जल से भरें। इस पर स्वस्तिक बनाएं और मौली बांधें। इस घड़े को किसी योग्य ब्राह्मण को दान दें। इस दिन लोग राहगीरों के लिए प्याऊ भी लगवाते हैं।
चंद्र को अर्पित करें खीर
बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को खीर अर्पित करने से मानसिक रोगों, मानसिक तनाव और मानसिक संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके लिए दूध-चावल की खीर बनाएं और उसमें शक्कर की जगह मिश्री डालें। गुलाब के फूल की पत्तियां डालें और इस खीर को कुछ मिनट के लिए चंद्रमा की रोशनी में रखें। इसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और परिजनों को भी खिलाएं। इससे चंद्र से जुड़े दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
साल का आखिरी सुपरमून
बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस साल 2020 का आखिरी सुपरमून दिखाई देगा। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ जाएगा जिससे इसका आकार बड़ा और अधिक चमकीला दिखाई देगा। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3,84,400 किलोमीटर होती है, लेकिन इस दिन यह दूरी घटकर 3,61,184 किलोमीटर रह जाएगी। इसके बाद अगला सुपरमून 27 अप्रैल 2021 को नजर आएगा।
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