Samudrik Shastra: सामुद्रिक शास्त्र से जानिए धनवान पुरूष के लक्षण
लखनऊ। इंसान का भविष्य जानना वाकई में अत्यंत कठिन है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य के भविष्य को जानने की अनेक विधायें प्रचलित है। जैसे-रमल ज्योतिष, अंक ज्योतिष, सामुद्रिक शास्त्र इत्यादि। सामुद्रिक शास्त्र एक ऐसा शास्त्र है, जिसके अन्तर्गत मनुष्य के अंगों को देखकर उसके बारें में भविष्य कथन कहा जाता है।
आज हम बात करते है धनवान पुरूष के बारें में सामुद्रिक शास्त्र क्या कहता है....
धनी मनुष्यों के अंगूठे में यव का चिन्ह होता है..
अंगुष्ठयवैराढयाः
सुतवन्तोगुंष्ठमूलगैश्च
यवैः।
दीर्घागुंलिपवार्ण
सुभगो
दीर्घायुषश्चैव।।
धनी मनुष्यों के अंगूठे में यव का चिन्ह होता है , यदि उंगुलियों के पर्व लम्बे हो तो जातक भाग्यशाली व दीर्घायु होता है। ऐसे जातक अपने दम पर सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचते है।
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धनी मनुष्यों के हाथ की रेखायें चिकनी और गहरी होती है
स्निगधा
नित्ना
रेखा
र्धाननां
व्यव्ययेन
निःस्वानाम्।
विरलागुंलयो
निःस्वा
धनसज्जायिनो
घनागुंलयः।।
धनी मनुष्यों के हाथ की रेखायें चिकनी और गहरी होती है, दरिद्रों की इससे विररीत होती है। बीडर उंगुलियों वाले पुरूष धनहीन और घनी उंगुलियों वाले व्यक्ति धन का संचय करने वाले होते है व जीवन में अनेक भवनों का निर्माण करते है।
चक्रासि-परशु-तोमर-शक्ति-धनुः-कुन्तासन्निभा
रेखा।
कुर्वन्ति
चमूनार्थं
यज्वानमुलूखलाकारा।।
जिसके हाथ में चक्र, तलवार, फरसा, तोमर, शक्ति, घनुष और भाले की सदृश रेखायें हो तो वह जातक सेना, पुलिस आदि में उच्च पद पर आसीन होता है। ओखरी के समान रेखा हो तो, वह पुरूष विधिपूर्वक यज्ञ करने वाला होता है, समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करते है।
व्यक्ति महाधनी
मकर-ध्वज-कोष्ठागार-सन्निभार्भर्महाधनोपेताः।
वेदीनिभेन
चैवाग्रिहोत्रिणो
ब्रम्हतीर्थम।।
जिसके हाथ में मकर, ध्वज, कोष्ठ और मन्दिर के चिन्ह विशेष की रेखायें हो तो, वह व्यक्ति महाधनी होता है और ब्रम्हतीर्थ अथवा अंगुष्ठमूल में वेदी के समान चिन्ह हो तो, वह अग्निहोत्री होता है। ऐसे जातक धर्म के क्षेत्र में अग्रणी होते है। उनका जीवन भी धार्मिक कार्यो से सफल होता है।
वापी-देवगृहाद्यैर्धर्मं
कुर्वन्ति
च
त्रिकोणाभिः।
अंगुष्ठमूलरेखाः
पुत्राः
स्युर्दारिकाः
सूक्ष्मा।।
यदि किसी जातक के हाथ में बावली, देवमन्दिर अथवा त्रिकोण का चिन्ह हो तो, वह मनुष्य धर्मात्मा होते है और अंगूठे के मूल में मोटी रेखायें पुत्रों की मानी जाती है तथा स्क्षूम रेखायेंक कन्याओं की मानी जाती है।
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