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जानिए वर्ष 2019 में कब-कब आएगा पंचक, क्यों माना जाता है इसे अशुभ!

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में पांच नक्षत्रों के विशेष मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है। चंद्रमा एक राशि में लगभग ढाई दिन रहता है इस तरह इन दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक भ्रमण करता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है। अतः ये पांच दिन पंचक कहे जाते हैं।

पंचक

पंचक

हिंदू संस्कृति में प्रत्येक कार्य मुहूर्त देखकर करने का विधान है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है पंचक। जब भी कोई कार्य प्रारंभ किया जाता है तो उसमें शुभ मुहूर्त के साथ पंचक का भी विचार किया जाता है। नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें अंतिम के पांच नक्षत्र दूषित माने गए हैं। ये नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों में विभाजित रहता है। पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक रहता है। हर दिन एक नक्षत्र होता है इस लिहाज से धनिष्ठा से रेवती तक पांच दिन हुए। ये पांच दिन पंचक होता है।

पांच बार आवृत्ति

पांच बार आवृत्ति

पंचक यानी पांच। माना जाता है कि पंचक के दौरान यदि कोई अशुभ कार्य हो तो उनकी पांच बार आवृत्ति होती है। इसलिए उसका निवारण करना आवश्यक होता है। पंचक का विचार खासतौर पर किसी की मृत्यु के समय किया जाता है। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक के दौरान हो तो घर-परिवार में पांच लोगों पर मृत्यु के समान संकट रहता है। इसलिए जिस व्यक्ति की मृत्यु पंचक में होती है उसके दाह संस्कार के समय आटे-चावल के पांच पुतले बनाकर साथ में उनका भी दाह कर दिया जाता है। इससे परिवार पर से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

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पंचक में वर्जित कार्य

पंचक में वर्जित कार्य

शास्त्रों में पंचक के दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही रहती है। उन्हें भूलकर भी इस दौरान नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में वर्णित है कि पंचक सर्वाधिक दूषित दिन होते हैं इसलिए पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की ओर यात्रा नहीं करना चाहिए। घर का निर्माण हो रहा है तो पंचक में छत नहीं डालना चाहिए। घास, लकड़ी, कंडे या अन्य प्रकार के ईंधन का भंडारण पंचक के समय नहीं किया जाता है। शय्या निर्माण यानी पलंग बनवाना, पलंग खरीदना, बिस्तर खरीदना, बिस्तर का दान करना पंचक के दौरान वर्जित रहता है। इनके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के कार्य वर्जित नहीं है।

वर्ष 2019 में पंचक कब-कब

वर्ष 2019 में पंचक कब-कब

प्रत्येक 27 दिन बाद नक्षत्र की पुनरावृत्ति होती है इस लिहाज से पंचक हर 27 दिन बाद आता है। यहां आगामी महीनों में आने वाले पंचकों की जानकारी दी जा रही है।

  • 9 जनवरी दोपहर 1.15 से 14 जनवरी दोपहर 12.53 तक
  • 5 फरवरी सायं 7.35 से 10 फरवरी सायं 7.37 तक
  • 4 मार्च रात्रि 12.09 से 9 मार्च रात्रि 1.18 तक
  • 1 अप्रैल प्रातः 8.21 से 5 अप्रैल तड़के 5.55 तक
  • 28 अप्रैल दोपहर 3.43 से 3 मई दोपहर 2.39 तक
  • 25 मई रात्रि 11.43 से 30 मई रात्रि 11.03 तक
  • 22 जून प्रातः 7.39 से 27 जून प्रातः 7.44 तक
  • 19 जुलाई दोपहर 2.58 से 24 जुलाई दोपहर 3.42 तक
  • 15 अगस्त रात्रि 9.28 से 20 अगस्त को सायं 6.41 तक
  • 11 सितंबर रात्रि 3.26 से 17 सितंबर रात्रि 1.53 तक
  • 9 अक्टूबर प्रातः 9.39 से 14 अक्टूबर प्रातः 10.21 तक
  • 5 नवंबर सायं 4.47 से 10 नवंबर 5.17 तक
  • 2 दिसंबर रात्रि 12.57 से 7 दिसंबर रात्रि 1.29 तक
  • नोट: पंचक प्रारंभ और पूर्ण होने का समय उज्जैन की पंचांगों के अनुसार है। देशभर में प्रचलित पंचांगों में स्थानीय सूर्यादय, सूर्यास्त के अनुसार इन समयों में परिवर्तन संभव है। अतः पंचक का विचार करते समय स्थानीय पंचांगों और ज्योतिषीयों की सलाह अवश्य लें।

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English summary
Here is All panchak dates for 12 months ( Year 2019)
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