ज्योतिष की नजर में स्वतंत्रता का 70वां वर्ष
लखनऊ। भारत की वर्ष कुण्डली में धनु लग्न उदित है। जो स्वतन्त्र भारत की कुण्डली में अष्टम भाव में पड़ी है। अष्टम भाव अचानक समस्याओं व विपत्तियों का द्योतक होता है। लगनेश गुरू दशम भाव में बैठा है। गुरू की यह स्थिति भारत की प्रगति में सहायक होगी।
गुरू के परिवर्तन से क्या पड़ेगा आप पर और देश-दुनिया पर असर
गुरू शिक्षा, राजनीति और महत्वाकांक्षओं का प्रतिनिधित्व करता है। भारत अपनी कुशल नीति के दम पर वैश्विक राजनीति में अपनी धाक जमाने में कामयाब होगा। भाग्येश सूर्य अष्टम भाव में बैठा है। जिस कारण भारत को अपने पड़ोसियों से कठोर चुनौतियॉ मिलती रहेंगी।
पाकिस्तान को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब
पाकिस्तान की नाम राशि कन्या है, जो भारत की वर्ष कुण्डली में दशम भाव में पड़ी है। कन्या राशि का स्वामी बुध है। बुध की दो राशियों का मालिक है। मिथुन व कन्या राशि। कन्या राशि दशम भाव में है तथा मिथुन राशि सप्तम भाव में पड़ी है। सप्तम स्थान मारक है। अतः पाकिस्तान अपनी गतिविधियों में कमी तभी लायेगा जब उसे कठोरता पूर्वक प्रतिउत्तर दिया जायेगा।
चीन पैदा करेगा भारत के लिए मुसीबत
चीन और आतंकवाद दोनों की नाम राशि मेष है। मेष मंगल की राशि है, मंगल काफी विस्फोटक व अक्रामक है। भारत की वर्ष कुण्डली मेष राशि पंचम भाव में पड़ी है। पंचमेश मंगल अपने धुर विरोधी शनि के साथ 12वें भाव में बैठा है। यह स्थिति दर्शाती है कि चीन और आतंकविधियॉ आये दिन भारत के विकसित राष्ट्र बनने में बाधक बनी रहेगी।
शस्त्रों की खरीद्दारी पर धन का खर्च
धनेश शनि 12वें भाव में मंगल के साथ संग्रस्थ है। भारत अपनी आन्तरिक सुरक्षा पर धन का व्यय अधिक करेगा और साथ में अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए शस्त्रों की खरीद्दारी पर धन का खर्च करेगा। अगस्त-सितम्बर 2016 तक का समय राष्ट्रसुरक्षा के लिए अत्यन्त कठिन है। इस अवधि में भारत की सीमाओं पर घुसपैठ व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। दिसम्बर 2016 में राष्ट्रीय शोक में ध्वज झुकने के भी संकेत है। जय हिन्द, जय भारत, जय वीर हुनमान।