सूर्य के प्रकाश से रोगों का निदान
क्रोमोथैरेपी रोम की एक प्रचीन चिकित्सा पद्धति है। क्रोमो का अर्थ होता है रंग और पैथी का अर्थ है- चिकित्सा पद्धति यानि रंगों पर आधारित चिकित्सा जिसमें बीमारियों का पता लगाकर उससे सम्बन्धित रंगों का प्रकाश दिया जाता है। उर्जा के प्रमुख संचालक सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार के रंग मौजूद होते है। 1-लाल, 2- पीला, 3-हरा, 4-नीला, 5-आसमानी, 6-बैंगनी, 7-नारंगी।
इस पद्धति में सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार के रंगों को शरीर के विभिन्न अवयव ग्रहण करते हैं। जिससे शरीर में रंगों का संतुलन बना रहता है, और यह संतुलन बिगड़ते ही शरीर रोगों की चपेट में आ जाता है। इस प्रचीन चिकित्सा पद्धति में बीमारियों के लक्षणों का पता लगाकर उससे सम्बन्धित रंगों का प्रकाश देकर शरीर के विकारों को दूर किया जाता है।
क्रोमोथैरपी चिकित्सा की विधि- प्रकृति के रंगों का प्रमुख स्रोत है, सूर्य का प्रकाश है। घर में एक कमरे की खिड़की का चुनाव इस प्रकार करें कि जिसमें प्रातःकाल सूर्य की किरणें सीधी अन्दर आती हों। उस खिड़की में बीमारी के अनुसार उस रंग का शीशा लगाया जाता है। रोगी के शरीर पर कम से कम 30 गुणे 36 वर्ग सेमी0 के रंगीन कांच के माध्यम से सूर्य का प्रकाश पड़ना चाहिए। यह प्रकाश 7 दिनों तक प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक लेने से रोगी की व्याधियां दूर हो जाती हैं और वह स्वस्थ्य हो जाता है।
दूसरी विधि- इसमें बीमारी के अनुसार उससे सम्बन्धित रंग का जल सेवन करना पड़ता है। एक साफ कांच की बोतल में पानी भरकर उसके चारों ओर विशेष रंग का कागज लपेट दिया जाता है, तत्पश्चात आठ-आठ घन्टे इस बोतल को धूप में रखकर रोगी को 7 दिनों तक एक-एक कप सुबह व शाम जल पिलाया जाता है। सूर्य की किरणों में मौजूद सात रंगों का प्रयोग शरीर में व्याप्त विभिन्न रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है-
क्रोमोथैरपी चिकित्सा पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इस चिकित्सा में किसी डाक्टर की आवश्यकता नहीं होती है। आप इसे स्वयं करके लाभ उठा सकते हैं।
लाल
लाल- लाल रंग शक्ति, गर्मी और उत्साह का प्रतिनिधित्व करता है। यह रक्त सम्बन्धी बीमारियों को दूर करने में सक्षम होता है। जैसे- एनीमिया, ब्लड प्रेशर, मधुमेह, पीलिया, पाचन सम्बन्धी रोग व आर्थराइटिस आदि बीमारियों में इस रंग का उपचार अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है।
पीला
पीला- यह रंग क्रोध, भय व अशान्ति व चिड़चिड़ापन को दूर करने में अत्यन्त उपयोगी है। सीने की जलन, कब्ज, आंतों के रोग, बवसीर, किडनी, लीवर, दिमाग और मासिक धर्म से सम्बन्धित दिक्कतों को दूर करने में पीला रंग रामबाण का काम करता है।
हरा
हरा- यह रंग शरीर में स्फूर्ति प्रदान करके उर्जा का संचरण करता है। शारीरिक और बौद्धिक मजबूती के लिए हरा रंग उपयोगी सिद्ध होता है। इस रंग के द्वारा अनेक बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। जैसे- नाड़ी तन्त्र, दिल की बीमारियाॅ, सर्दी जुकाम, पेट में अल्सर, मानसिक रोग आदि रोगों को दूर करने में हरा रंग सहयोगी सिद्ध होता है।
नीला
नीला- यह रंग त्वचा के लिए विशेषकर लाभदायक साबित होता है। शरीर के बाहरी व आन्तरिक भागों में किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने में नीला रंग सक्षम होता है। त्वचा में किसी भी प्रकार की जलन, इन्फेक्शन, पिम्पल, त्वचा का फटना, फोड़े व फुन्सी, झांई, आदि को ठीक करने में नीले रंग का इस्तेमाल किया जाता है।
आसमानी
आसमानी- आंखों से सम्बन्धित बीमारियों के लिए आसामनी रंग काफी उपयोगी है। इस रंग से मन का डर, अतिभावुकता, बहरापन, मोतियाबिन्द, रतौंधी आदि प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
बैंगनी
बैंगनी- यह रंग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में लाभदायक रहता है एंव एम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। महिलाओं से सम्बन्धित स्त्री रोगों के विकारों को दूर करने में बैंगनी रंग का प्रकाश काफी लाभदायक रहता है।
नारंगी
नारंगी- यह रंग शरीर को शक्तिशाली व स्वस्थ्य बनाने में महती भूमिका निभाता है। कब्ज के रोगियों के लिए यह अत्यन्त फायदेमन्द रहता है। विशेषकर इस रंग का प्रयोग श्वसन तन्त्र से सम्बन्धित बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। जैसे- आस्थमा, ब्रांकाइटिस, खांसी, साइनस एंव गले के रोग आदि।