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2014 में रिपीट होगा 1947 का कैलेंडर, अब कौन सी आजादी मिलेगी?

By Ajay Mohan
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लखनऊ/रायपुर। आज से 66 वर्ष पूर्व देश आजादी की जंग लड़ रहा था, आज देश भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ जंग लड़ रहा है। तब भी देश की जनता एक होकर आगे आयी थी, आज भी जनता एक जुट होकर इस जंग में शामिल हो चुकी है। एक खास समानता यह भी है कि 1947 का कैलेंडर एक बार फिर रिपीट होने जा रहा है वो भी 2014 में। इस बार कौन सी आजादी देश को मिलेगी?

आने वाला नया साल 2014 जो कई मायनों में बेहद खास होगा। एक तरफ जहां दिल्ली में देश की नई सरकार होगी, वहीं सबसे बड़ी खासियत यह कि अगला वर्ष आजादी के वर्ष को दोहराने वाला होगा। दरअसल, 1947 और 2014 का कैलेंडर एक समान है। तारीख के साथ दिन, वार और जयंतियां सब एक ही तारीख में एक समान पड़ रहे हैं। यानी 67 साल पहले और नए साल के कैलेंडर में जरा भी फर्क नहीं है। इस तरह कहा जा सकता है कि आजादी का वर्ष लौट आया है।

1947 को देश आजाद हुआ था। इस लिहाज से इस वर्ष का एक-एक दिन, तिथि व समय काफी अहमियत रखता है। दोनों वर्षो की शुरुआत बुधवार से हुई और समाप्ति का दिन भी बुधवार ही है। 15 अगस्त, 1947 को जिस दिन आजादी मिली, उस दिन भी शुक्रवार था। नए साल में भी यह तारीख शुक्रवार को पड़ रहा है। विशेषज्ञ इसे 'हैप्पी क्लोन कैलेंडर' की संज्ञा दी है।

इस पर लखनऊ के ज्योतिष पंडित अनुज के शुक्ल का कहना है कि 1947 और 2014 में ग्रहों का नहीं सिर्फ अंकों का फेर है, लिहाजा अंकज्योतिष की दृष्टि से भारत के लिये 2014 उतना ही महत्वपूर्ण हो सकता है, जितना कि 1947 था। दोनों में अंक 4 और 7 का प्रभाव रहेगा और भारत के लिये दोनों ही अंक शुभ माने जाते हैं। अगर नरेंद्र मोदी की लहर को इससे जोड़ कर देखें तो उनका जन्म 17 सितंबर को हुआ था। उसमें 7 अंक आता है और 1947 में भी सात अंक आया, अगर अंकों का प्रभाव चल गया तो मोदी इस बार कांग्रेस का सफाया कर सकते हैं।

तीज त्योहार होंगे अलग

तीज त्योहार होंगे अलग

वहीं रायपुर के ज्योतिष मनोज आचार्य का कहना है कि ऐसा कई बार होता है, जब अंग्रेजी माह की तारीखें और दिन तथा तिथियां मिल जाती हैं। तिथियों के उलटफेर से कुछ तीज-त्योहारों की तारीखें हालांकि जरूर अलग हैं। पर यह संयोग मात्र है कि हिंदू पंचांग में तिथियां भिन्न होने के चलते ही तीज-त्योहार अलग-अलग तारीखों में पड़ रहे हैं। त्योहार धार्मिक पंचांग के आधार पर तिथि और नक्षत्रों के संयोग से मनाए जाते हैं। यही वजह है कि 1947 और 2014 का कैलेंडर एक जैसा होने के बाद भी त्योहारों की तिथि और वार अलग-अलग हैं।

कौन कौन से त्योहारों में फर्क

कौन कौन से त्योहारों में फर्क

1947 में महाशिवरात्रि 18 फरवरी, होली 6 मार्च, रक्षाबंधन 31 अगस्त, दशहरा 24 अक्टूबर व दिवाली 12 नवंबर को थी, जबकि 2014 में महाशिवरात्रि 27 फरवरी, होली 17 मार्च, रक्षाबंधन 10 अगस्त, दशहरा 4 अक्टूबर व दिवाली 23 अक्टूबर को होगी।

अब कौन सी आजादी

अब कौन सी आजादी

बहरहाल, 1947 में देश आजाद हुआ और नई सरकार बनी। 2014 में देशभर में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। नई सरकार इसी साल शपथ भी लेगी। इस लिहाज से, इसे लोग एक बड़ी समानता मान रहे हैं।

दोनों वर्षो में ये हैं समानताएं

दोनों वर्षो में ये हैं समानताएं

-बुधवार 1 जनवरी : नया साल

-मंगलवार 7 जनवरी : गुरुगोविंद सिंह जयंती

-रविवार 26 जनवरी : गणतंत्र दिवस

कैलेंडर की तिथ‍ियां

कैलेंडर की तिथ‍ियां

-बुधवार 19 फरवरी : शिवाजी जयंती

-रविवार 13 अप्रैल : महावीर जयंती

-सोमवार 14 अप्रैल : अंबेडकर जयंती

-शुक्रवार 15 अगस्त : स्वतंत्रता दिवस

कैलेंडर की तिथ‍ियां

कैलेंडर की तिथ‍ियां

-गुरुवार 2 अक्टूबर : गांधी जयंती

-गुरुवार 6 नवंबर : गुरुनानक जयंती

-गुरुवार 25 दिसंबर : क्रिसमस

-बुधवार 31 दिसंबर : वर्ष का आखिरी दिन

Comments
English summary
Both 1947 and 2014 have same calenders and astrologers have come out with some 'astonishing' predictions. Well astrologers are saying that only numerology will affect India's future.
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