त्वचा रोगों को दूर करता है 12 मुखी रुद्राक्ष
1- बारहमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से शरीर के प्रत्येक प्रकार के चर्म रोग, कोढ़, त्वचा एवं रक्त विकार दूर हो जाते हैं।
2- सूर्य एवं राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए बारहमुखी रूद्राक्ष धारण करना अत्यन्त हितकर साबित होता है।
3-शरीर के सभी प्रकार के हडड़ी रोगों को दूर करने के लिए बाहरमुखी रूद्राक्ष काफी सक्षम माना जाता है।
4- मकर और कुम्भ राशिके जातकों के लिए बारहमुखी रूद्राक्ष धारण करना विशेष हितकर रहता है।
5- जो व्यक्ति अधिकांशतः अवसादर में रहते है,उन्हें बारहमुखी रूद्राक्ष पहने से लाभ मिलता है।
6- सरकारी कर्मचारियों के लिए बारहमुखी रूद्राक्ष एक प्रकार का कारक्षा कवच साबित होता है।
7- बारहमुखी रूद्राक्ष नेताओं, शासकों, प्रशासकों व व्यवसायी वर्ग के लिए विशेष लाभकारी प्रतीत होता है।
धारण विधि
रविवार के दिन पुष्प नक्षत्र में अथवा किसी भी रविवार के दिन मध्यकाल में ताम्रपात में रोली से एक वृत्त बनाकर लाल फूल रख दिया जाय,उसपर बारहमुखी रूद्राक्ष रख दिया जाये। इसके बाद श्रोली रंगे हुये चावल और लाल फूल हाथ में लेकर सूर्य भगवान का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात निम्न मन्त्रों को- 1- ऊँ विभाय नमः, 2- ऊँ रवये नमः, 3- ऊँ सूर्याय नमः, 4- ऊँ भानवे नमः, 5- ऊँ खगाय नमः, 6- ऊँ पूष्णे नमः, 7- ऊँ हिरण्यगर्भाय नमः, 8- ऊँ मरीचये नमः, 9- ऊँ आदित्य नमः, 10- ऊँ सावित्रे नमः, 11- ऊँ अर्काय नमः, 12- ऊँ भास्कराय नमः। पढ़ते हुये रूद्राक्ष पर पुष्प व अक्षत अर्पित करें। तत्पश्चात ''ऊँ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः'' मन्त्र से 12 आहुतियां देकर एंव हवन-अग्नि की 12 बार परिक्रमा करके रूद्राक्ष धारण करने से फायदा होता है।