भगवान शिव का रूप है ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
1-एकादशमुखी रूद्राक्ष प्रत्येक प्रकार के संकट क्लेश,उलझन व समस्याओं को दूर करने पराक्रम,साहस और आत्मशक्ति को बढ़ाता है।
2 -घर में किसी भी प्रकार की बाधा हो जैसे भूत-प्रेत देवी बाधा,शत्रु भय आदि हो तो आप ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को अपने पूजा कक्ष में रखकर उसका नियमित पूजन करें तो शीघ्र ही लाभ मिलेगा।
3- जिस स्त्री को सन्तान नहीं हो रही हैं उसे ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को गले में धारण करने से चमत्कारी लाभ मिलता है।
4-ग्यारमुखी रूद्राक्ष को पहने से रोग-दोष से रक्षा होती है।
5-इस रूद्राक्ष को व्यवसाय स्थल में रखकर नियमित पूजन करहने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आती है।
6-जिन बच्चों को बार-बार नजर दोष लगने के कारण बीमारियां घेर लेती है। उन्हें ग्यरहमुखी रूद्राक्ष को लाल धागें में पिरोकर गले में धारण करने से अत्यन्त लाभ मिलता है।
7-ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से गणेश व लक्ष्मी दोनों की कृपा बनी रहती है। जिससे धन धान्य में कमी नहीं आती है।
धारण विधिः एकादशमुखी रूद्राक्ष की अभिमंत्रण क्रिया केवल, सोमवार, शुक्रवार अथवा एकादशी के दिन ही करनी चाहिए। एक घी का दीपक जलाकर,उसको रोली रंगे हुये चावल पर रखे। उसके सामने रूद्राक्ष रख दे। तत्पश्चात रूद्राक्ष को गंगाजल व दूध से परिमार्जित करे।
रूद्राक्ष पर रंगे हुये चावल छिड़कते हुये हनुमान जी का ध्यान करें। ध्यान के बाद निम्न मन्त्र ''ऊँ हों हस्फ्रें हसौं हस्फे हसौ हनुमते नमः'' को पढ़ते हुये चन्दन, विल्बपत्र गन्ध, इत्र दूध व दीप से पूजन करें। पूजन के बाद उपरोक्त मन्त्र से 11 बार जाप करके हवन करे। तत्पश्चात हवन-अग्नि की 11 बार परिक्रमा करके रूद्राक्ष को गले में धारण करे। आगे पढ़ें- त्वचा रोगों के लिये 12 मुखी रुद्राक्ष।