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रेखाओं से जानिये अपनी क्षमताओं को

By राजीव अग्रवाल
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हाथों की लकीरों में व्‍यक्ति का केवल भविष्‍य ही नहीं बल्कि उसका व्‍यक्तित्‍व और उसकी क्षमताएं भी छिपी होती हैं। जी हां किसी भी व्‍यक्ति की हाथों की रेखाओं से उसकी बौद्धिक क्षमता का आंकलन किया जा सकता है।

मस्तिक रेखा की स्थिति से बौद्धिक क्षमता का पता लगाया जा सकता है। यह रेखा हथेली के मध्य में होती है। यह तर्जनी के नीचे से प्रारम्भ होकर मंगल पर्वत या चन्द्र पर्वत की ओर जाती है।

मस्तिक रेखा हथेली के मध्य क्षेत्र से नीचे की ओर चंद्र पर्वत की ओर जा रही हो तो व्यक्ति भावुक और संवेदनशील होता है। मस्तिक रेखा सीधी और स्पट होने पर व्यक्ति का मस्तिक संतुलित होता है, वह व्यावहारिक दृटिकोण अपनाकर जीवन की परिस्थितियों का सामना करता है।

अगर बायें हाथ और दायें हाथ में रेखाओं में समानता हो तो हम या कह सकते हैं कि व्यक्ति का स्वभाव उसकी जन्म जात प्रवृत्तियों के अनुरूप ही है। उसने उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया है। अगर व्यक्ति बायें हाथ से लिखता है तो उसका बायां हाथ अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसी स्थिति में सीधे हाथ को जन्म जात प्रवृत्तियों का द्योतक मानना चाहिये।

स्‍पष्‍ट रेखाओं वाले स्‍वयं करते हैं स्‍वभाव को विकसित

यदि व्यक्ति के बायें हाथ की मस्तिक रेखा क्षीण हो और दायें हाथ की मस्तिक रेखा बलवान और स्पट हो तो यह यह निष्‍कर्ष निकलता है कि व्यक्ति ने स्वयं अपने स्वभाव को विकसित किया है और अपनी जन्मजात, मनोवृत्ति को नहीं हावी होने दिया है।

जो लोग अपने माता-पिता से अधिक योग्य होते हैं, उनमें मस्तिक रेखा इसी प्रकार की पायी जाती है। अगर दाहिने हाथ में मस्तिक रेखा, बायें हाथ की अपेक्षा क्षीण होती है तो व्यक्ति अपनी जनम जात प्रवृत्तियों का लाभ उठा पाता है, और यह स्थिति उसमें इच्छाशक्ति की कमी को भी प्रकट करता है।

ऐसे व्यक्ति में महत्वाकांक्षा की कमी रहती है और वह साधारण जीवन व्यतीत करता है। मस्तिक रेखा गहरी, साफ, पतली हो तो मानसिक क्षमता अच्छी होती है। ऐसे व्यक्ति मानसिक कार्यों से जीविकोपार्जन करते हैं।

अगर मस्तिक रेखा गहरी न होकर चौड़ी हो तो व्यक्ति मानसिक या बौद्धिक कार्य न करके, शारीरिक श्रम का कार्य करते हैं। मस्तिक रेखा का आरंभ अंगूठे की ओर से होता है। अगर मस्तिक रेखा जीवन रेखा के अन्दी से मंगल पर्वत के पर से आरंभ होती है तो व्यक्ति क्रोध जल्दी करने लगता है किन्तु आमतौर से उसमें आत्मविवास की कमी होती है, वह स्वतन्त्र रूप से कोई कार्य करने में मन ही मन डरता है।

अगर हथेली में अन्य पर्वतों या रेखाओं की स्थिति अनुकूल है तो इस दोष में न्यूनता आ जाती है। यदि यह मस्तिक रेखा सीधी हो तो व्यक्ति अपने आवो को नियंत्रण में करना चाहता है, किन्तु यदि इसका चन्द्र पर्वत की ओर हो जाये तो व्यक्ति के उक्त विकारों में वृद्धि हो जाती है।

क्षीण रेखाएं पैदा करती हैं मस्तिष्‍क में विकार

इस प्रकार की मस्तिक रेखा के साथ अगर भाग्य रेखा क्षीण हो गई है तो व्यक्ति में मस्तिक विकारों का होना संभावित रहता है। अगर किसी व्यक्ति के हाथ में मस्तिक रेखा का प्रारंभ जीवन रेखा से जुड़कर होता है। तो ऐसे व्यक्ति भावुक होते हैं, वह अपने आत्म विवास को पाने में देरी लगा सकते हैं, जिससे कि वह अपने गुणों और क्षमताओं को सही रूप में समझ नहीं पाते हैं।

ऐसे में मस्तिक रेखा सीधी हो तो व्यक्ति अपने आत्म विवास और भावनाओं का रचनात्मक उपयोग करता है। सीधी मस्तिक रेखा मानसिक दृढ़ता को प्रकट करती है। ऐसी स्थिति में मस्तिक रेखा का झुकाव चन्द्र पर्वत की ओर हो तो व्यक्ति में कल्पनाशीलता बढ़ जाती है।

अगर उक्त मस्तिक रेखा पर कोई आशुभ चिन्‍ह जैसे द्वीप, या क्रास हो तो व्यक्ति में निराशावादी प्रवृत्ति आ जाती है।

आगे पढ़ें: व्‍यक्तित्‍व के विकास में भी सहायक हैं रेखाए

(लेखक भारतीय ज्योतिष तथा कुंडली से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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