आखिर मां दुर्गा क्यों कहलाती हैं शेरावाली माता?
शेर का आशय राजा, शक्ति, भव्यता और जीत से होता इसलिए वो मां का वाहन है।
लखनऊ। मां दुर्गा का वाहन शेर है, क्या कभी आपने सोचा है कि शक्ति की पर्याय मां भगवती की सवारी शेर ही क्यों है?
चैत्र नवरात्र 2017: जानिए घट-स्थापना की पूजा और मुहूर्त का समय
आज हम आपको इससे जुड़ी एक रोचक बात बताते हैं..
दरअसल इस बारे में एक दंत कथा है..पुराणों में उल्लेख है कि एक बार भगवान शिव और मां पार्वती आपस में हास-परिहास कर रहे थे लेकिन इसी हास-परिहास के बीच में भगवान शिव ने माता पार्वती को काली कह दिया जिस पर मां रूठ गईं और वन में जाकर तपस्या करने लगीं।
मां पार्वती के साथ शेर ने भी सालों तपस्या की
इस तपस्या में कई साल गुजर गये कि तभी एक शेर जो बहुत दिनों से भूखा-प्यासा था वो मां पार्वती को खाने के लिए उनके पास आ गया लेकिन ना जानें शेर को क्या सूझा, उसने तपस्या कर रही माता पार्वती पर हमला नहीं किया बल्कि उनके पास जाकर बैठ गया। कई सालों बाद जब पार्वती की तपस्या से शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंनें मां के सामने प्रकट होकर उन्हें गोरी होने का वरदान दिया।
शेर के धैर्य से माता हुईं प्रसन्न
जिसके बाद मां ने शेर की ओर देखा जो कि काफी समय से बिना हमला किये उनकी प्रतिक्षा कर रहा था और तपस्या का हिस्सेदार था। माता ने प्रसन्न होकर उसे हमेशा विजयी रहने का आशीर्वाद दिया और अपना वाहन बना लिया।
राजा, शक्ति, भव्यता और जीत का प्रतीक
मालूम हो कि शेर का आशय राजा, शक्ति, भव्यता और जीत से होता। यह कहानी ये सीख देती है कि अगर आप सच्चे मन से मां को याद करते हैं तो मां आपकी हर इच्छा की पूर्ति करती है वो भी बिना मांगे।
नवरात्रि 2017: इस बार अश्व पर चढ़कर आएंगी शेरावाली माता
माना जाता है कि घटस्थापना के दिन के मुताबिक मां की सवारियां बदल जाती हैं
क्या है 'उगादि', 'गुड़ी-पड़वा' और 'नवरात्र' का कनेक्शन?
चैत्र नवरात्रि से हिंदू समाज अपना नव वर्ष प्रारंभ करता है तो वहीं दक्षिण भारत में इस दिन को गुड़ी-पड़वा या उगादि के रूप में मनाते हैं।