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Vat Savitri Vrat 2018: वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त, कथा एवं पूजा विधि

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नई दिल्ली। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाए जाना वाला वट सावित्री व्रत आज है। इस दिन पूरे उत्तर भारत में सुहागिनें 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ चारों फेरें लगाकर अपने पति के दीर्घायु होनें की प्रार्थना करती हैं। प्यार, श्रद्धा और समर्पण का यह व्रत सच्चे और पवित्र प्रेम की कहानी कहता है।

वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त

  • अमावस्या तिथि का आरंभ 14 मई 2018, सोमवार को 19:46
  • अमावस्या तिथि समापन 15 मई 2018, बुधवार को 17:17
अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष मिलता है

अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष मिलता है

आपको बता दें कि ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है। कथाओं में उल्लेख है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तब सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिये। एक वरदान में सावित्री ने मांगा कि वह सौ पुत्रों की माता बने। यमराज ने ऐसा ही होगा कह दिया। इसके बाद सावित्री ने यमराज से कहा कि मैं पतिव्रता स्त्री हूं और बिना पति के संतान कैसे संभव है?

चने का प्रसाद

चने का प्रसाद

सावित्री की बात सुनकर यमराज को अपनी भूल समझ में आ गयी कि,वह गलती से सत्यवान के प्राण वापस करने का वरदान दे चुके हैं। इसके बाद यमराज ने चने के रूप में सत्यवान के प्राण सावित्री को सौंप दिये। सावित्री चने को लेकर सत्यवान के शव के पास आयी और चने को मुंह में रखकर सत्यवान के मुंह में फूंक दिया। इससे सत्यवान जीवित हो गया इसलिए वट सावित्री व्रत में चने का प्रसाद चढ़ाने का नियम है।

वृक्ष की परिक्रमा

वृक्ष की परिक्रमा

जब सावित्री पति के प्राण को यमराज के फंदे से छुड़ाने के लिए यमराज के पीछे जा रही थी उस समय वट वृक्ष ने सत्यवान के शव की देख-रेख की थी। पति के प्राण लेकर वापस लौटने पर सावित्री ने वट वृक्ष का आभार व्यक्त करने के लिए उसकी परिक्रमा की इसलिए वट सावित्री व्रत में वृक्ष की परिक्रमा का भी नियम है।

ऐसे करें वट सावित्री व्रत

ऐसे करें वट सावित्री व्रत

सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करें। वट वृक्ष की जड़ को दूध और जल से सींचें। इसके बाद कच्चे सूत को हल्दी में रंगकर वट वृक्ष में लपेटते हुए कम से कम तीन बार परिक्रमा करें। वट वृक्ष का पत्ता बालों में लगाएं। पूजा के बाद सावित्री और यमराज से पति की लंबी आयु एवं संतान हेतु प्रार्थना करें।

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English summary
Vat Purnima or Wat Purnima is falling on May 15 2018 Thursday, This is a special fast observed by married women for longevity of their beloved husbands.
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