हिन्दी साहित्य से गहरा रिश्ता उपहार के गुनहगार का
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला) उपहार अग्निकांड के गुनहगार सुशील अंसल का हिन्दी साहित्य से गहरा संबंध है। दरअसल उनकी पत्नी डा. कुसुम अंसल हिन्दी की नामचीन कथाकार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आरोपी अंसल बंधुओं को बड़ी राहत देते हुए उनकी बाकी की सजा माफ कर दी। कोर्ट ने आरोपी सुशील अंसल और गोपाल अंसल को 30 - 30 करोड़ रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया है।
जहां तक डा.कुसुम अंसल की बात है तो वह कविता, कहानी, आत्मकथा, पटकथा लेखन, धारावाहिक लेखन जैसी विधाओं में अपनी धाक जमा चुकी हैं। कुसुम जी के उपन्यास ‘एक और पंचवटी' पर बासु भट्टाचार्य ने 1985 में फिल्म बनाई थी। एक और उपन्यास ‘रेखाकृति' पर नाटक खेला जा चुका है।
अलीगढ़ से नाता
वह अलीगढ़ में पैदा हुई थीं। वहां से ही उन्होंने शिक्षा ली। उनके परिवार के कनाट प्लेस स्थित अंसल समूह के हेड आफिस में लगातार साहित्य पर गोष्ठियां होती हैं। वहां पर लगातार होते हैं कवि सम्मेलन और पुस्तकों पर चर्चाएं।
मधुशाला से प्रेम
बच्चन जी की ‘मधुशाला', भवानी प्रसाद मिश्र की ‘मैं गीत बेचता हूँ' और पन्त जी की कविताओं की फैन कुसुम जी लगातार लेखन में व्यस्त रहती हैं। कुसुम जी का पहला उपन्यास ‘उदास आँखें' है।
उसके बाद उन्होंने उपन्यास लिखा ‘नींव का पत्थर'। पर हिन्दी की इतनी बड़ी हस्ताक्षर के फिरोजशाह रोड स्थित बंगले के बाहर उनका नेमप्लेट पर नाम नहीं लिखा।