1 सितम्बर को सूर्यग्रहण लेकिन परेशान हैं गर्भवती महिलाएं, क्यों?
बेंगलुरु। इस बार 1 सितंबर को सूर्यग्रहण है लेकिन इसका असर भारत पर नहीं होगा क्योंकि ये यहां दिखायी नहीं देगा। यह अफ्रीका महाद्वीप, हिन्द महासागर एंव आस्ट्रेलिया के पूर्वी तटवर्ती भू-भाग, अण्टाकार्टिका में ही दिखेगा इसलिए इस दिन भारत में सूतक नहीं लगेगा।
1 सितम्बर 2016 को खग्रास सूर्य ग्रहण, क्या होगा प्रभाव?
बावजूद इसके सूर्यग्रहण को लेकर गर्भवती महिलाएं थोड़ा परेशान हैं जबकि ग्रहण एक भौगोलिक घटना है। आपको बता दें कि जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तो उसे सूर्यग्रहण कहते हैं।
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आखिर क्यों ग्रहण के नाम पर गर्भवती महिलाएं और उनका परिवार चिंतित रहता है, क्या है इसका कारण.. आईये जानते हैं विस्तार से..
शिशु विकलांग हो सकता है
दरअसल पुराणों की मान्यता के मुताबिक राहु चंद्रमा को और केतु सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों ही छाया की संतान हैं। चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं। चंद्र ग्रहण से इंसान की सोचने की शक्ति कम होती है जबकि सूर्य ग्रहण के समय आंखों और लीवर की परेशानियां होती है इसलिए घर के बड़े-बूढ़े लोग गर्भवती स्त्री को सूर्यग्रहण को नहीं देखने की सलाह देते हैं, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु विकलांग बन सकता है।
गर्भपात की संभावना
कहा जाता है कि जब अंतरिक्ष में ये घटना होती है तो उसमें काफी ऊर्जा का हनन होता है, ये ऊर्जा पेट में पल रहे बच्चे के लिए नुकसानदायक होती है, जिसकी वजह से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इस कारण प्रेग्नेंट वोमेन को सूर्यग्रहण से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
खाना खाने से रोका जाता है
कुछ जगह तो गर्भवती स्त्रियों को खाने-पीने से भी रोका जाता है, अगर ग्रहण लंबा हुआ तो स्थिति विकट हो जाती है क्योंकि प्रेग्नेंट महिला को हर दो घंटे में खाना होता है और ग्रहण लंबा हो गया तो महिला के भोजन पर ग्रहण लग जाता है इस वजह से डाक्टर्स इन बातों को बिल्कुल नहीं मानते हैं।
गोबर और तुलसी का लेप
गोबर और तुलसी ठंडक के श्रोत हैं, इसलिए अक्सर घर की बूढ़ी औरतें सूर्यग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं के पेट पर गोबर और तुलसी का लेप लगा देती हैं जिससे होने वाले बच्चे के शरीर को ठंडक मिले।
कैंची या चाकू से काटने
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला को कुछ भी कैंची या चाकू से काटने को मना किया जाता है और कपड़े सिलने से भी रोका जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं या फिर सिल (जुड़) जाते हैं।
वहम है और कुछ नहीं
लेकिन वैज्ञानिक और डॉक्टर्स इन बातों से बिल्कुल सरोकार नहीं रखते हैं, उनका कहना है कि ये एक खगोलिय घटना है जिसका असर ब्रह्मांड पर आंशिक रूप से हो सकता है लेकिन व्यक्ति विशेष पर इन बातों का असर नहीं होता है, जो नियम-कानून बताये गये हैं वो लोगों ने अपने हिसाब से बना लिये हैं।