खुशी और सफलता चाहिए तो शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न
नई दिल्ली। शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी, शनि ग्रह के सम्बन्ध में अनेक भ्रान्तियां भी है और इसलिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नहीं है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नहीं मित्र है।
हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है शनि
मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग अनुचित विषमता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्हें ही दुख पहुंचाता है
शनिदेव को खुश रखना बहुत जरूरी है
कहते हैं कि शनिदेव अगर नाराज हो जाएं तो सबकुछ बिगड़ जाता है, इसलिए शनिदेव को खुश रखना बहुत जरूरी है, अगर आप शनिदेव की पूजा नहीं करते हैं तो आज से ही शनिदेव की पूजा शुरु कर दीजिए इन मंत्रों के साथ।
वैदिक शनि मंत्र
- ऊँ शन्नोदेवीर- भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
- पौराणिक शनि मंत्र: ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
खुशी और सफलता के लिए
ॐ
प्रां
प्रीं
प्रौं
स:
शनैश्चराय
नम:।
ॐ
शां
शनैश्चराय
नम:।