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Sankashti Chaturthi 2018: आज है भगवान गणेश का दिन, जानिए पूजा विधि, मुहूर्त और कथा

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नई दिल्ली। आज संकष्टी चतुर्थी है, कृष्ण पक्ष को आने वाली चौथ को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। दक्षिण भारत में इस पर्व को काफी वृहद स्तर पर बनाया जाता है, लोग आज सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत करते हैं। चतुर्थी को संकट हारा चतुर्थी के भी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है। गणेश जी तो वैसे भी विघ्नहर्ता हैं, उनकी पूजा करने से इंसान के सारे संकट दूर हो जाते हैं।

  • पूजन मुहूर्त: रात 19:58 से रात 20:58 तक।
  • चंद्र दर्शन मुहूर्त: रात 21:08 से रात 22:08 तक।
 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति'

'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति'

पूजा के दौरान 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है' करते हुए पूजा शुरू करनी चाहिए। व्रतियों को शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए। रात के समय चन्द्रोदय होने पर गणेश जी का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए।

 फूल, फल, मिठाई, दूध और मोदक

फूल, फल, मिठाई, दूध और मोदक

आज सुबह-सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर जातक को स्वच्छ वस्त्र धारण करें कोशिश करें कि लाल या पीले रंग का वस्त्र धारण करें क्योंकि ये इंसान के उत्साह और खुशी को दिखाता है। फिर गणेश जी की पूजा अपने सामार्थ्य अनुसार फूल, फल, मिठाई, दूध और मोदक से करें।

गणेशजी की आरती करें

गणेशजी की आरती करें

सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं। तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें और क्षमायाचना के बाद पूजा समाप्त करें और उसके बाद चांद का दर्शन करें और उसे अर्ध्य दें और इसके बाद अपना व्रत खोलें।

कथा

कथा

मान्यता है कि एक बार देवतागण बहुत सारे संकटों से घिरे हुए थे, वो मदद के लिए महेश्वर के पास पहुंचे , इस पर महेश्वर ने कार्तिकेय और गणेश दोनों को देवताओं का संकट हरने के लिए कहा लेकिन इससे पहले एक शर्त रखी कि वो दोनों अपनी श्रेष्ठता साबित करें और इसके लिए उन्हें पृथ्वी की परिक्रमा करनी होगी। इस बात को सुनते ही कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए लेकिन गणेश जी का वाहन तो मूषक है, ऐसे में वो परिक्रमा में जीत नहीं सकते थे इसलिए उन्होंने जुगत लगाई।

गणेश जी को मिला वरदान

गणेश जी को मिला वरदान

उन्होंने अपने माता-पिता को ही अपनी पृथ्वी और ब्रह्मांड मान लिया और उनकी परिक्रमा करने लगे। उनके माता-पिता यानी कि शिव और पार्वती बेटे गणेश की बुद्दि कौशल देखकर प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि वो ही अलौकिक विश्व में बुद्दि के देवता कहलाएंगे। उन्हें ही देवताओं का संकट हरने का मौका मिला जिसमें वो सफल हुए। महेश्वर ने गणेश को आशीर्वाद दिया की चतुर्थी पर जो व्यक्ति गणेश पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उस पर कभी भी कोई संकट नहीं आएगा।

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English summary
Sankasthi Chaturthi is an auspicious day dedicated to Lord Ganesha. Here is puja muhurut and puja vidhi.
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