ग्रहण काल में रक्षा करेंगे ये पांच चमत्कारिक मंत्र
नई दिल्ली। 7 अगस्त 2017 रक्षाबंधन पर चंद्र ग्रहण आ रहा है। ग्रहण को लेकर लोगों के मन में कई तरह की शंका-कुशंकाएं होती हैं और वे जानकारों से यह जानने की कोशिश में रहते हैं कि ग्रहण के दौरान किन बातों का ध्यान रखें, क्या करें, क्या न करें, गर्भवती स्त्रियों को क्या सावधानियां रखना चाहिए। ऐसी अनेक बातें होती हैं जो वे जानना चाहते हैं।
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हिंदू धर्म मेंअनेक ग्रंथों में ग्रहण काल के दौरान करने और न करने वाली बातों का विस्तार से वर्णन मिलता है और अब तो यह बात वैज्ञानिक भी सिद्ध कर चुके हैं कि सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है। जिसके फलस्वरूप बैक्टीरिया आदि की संख्या भी बढ़ जाती है इसलिए इस दौरान कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए। ग्रहण प्रारंभ होने से पहले खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी पत्र या कुशा डाल देना चाहिए।
ग्रहण में मंत्र जप का विशेष महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण में मंत्र जप का विशेष महत्व है। तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी यह समय अत्यंत क्रियाशील माना गया है। इस लेख में मैं पांच ऐसे चमत्कारिक और आसान मंत्रों के बारे में जानकारी दे रहा हूं, जिन्हें साधारण गृहस्थ व्यक्ति भी अपने घर के पूजा स्थान में बैठकर कर सकता है। ग्रहण काल के दौरान इन पांच में से किसी भी एक मंत्र का जाप करने से न सिर्फ ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है, बल्कि पारिवारिक सुख, सौभाग्य, आर्थिक समृद्धि भी पाई जा सकती है।
पहला मंत्र
ऊं
क्लीं
देवकीसुत
गोविंद
वासुदेव
जगत्पते
देहि
मे
तनयं
कृष्णं
त्वामहं
शरणं
गतः
क्लीं
ऊं
यह मंत्र गर्भवती स्त्रियों के लिए विशेष लाभकारी है। वे यदि स्फटिक या तुलसी की माला से ग्रहण काल के दौरान इस मंत्र का जाप करें तो न सिर्फ उनका गर्भ ग्रहण दोष और राहु की छाया से बचा रहेगा बल्कि उन्हें स्वस्थ, सुंदर और बौद्धिक गुणों से युक्त संतान की प्राप्ति होगी। यह मंत्र उन लोगों को भी जपना चाहिए जो श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं या पारिवारिक सुख उठाना चाहते हैं।
दूसरा मंत्र
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
ग्रहण
प्रारंभ
होने
पर
अपने
पूजा
स्थान
में
पूर्वाभिमुख
होकर
पीले
या
लाल
रंग
के
आसान
पर
बैठें।
स्फटिक
की
माला
से
इस
मंत्र
का
जाप
करें।
ग्रहण
काल
के
दौरान
11,
21
या
31
माला
मंत्र
करें।
चाहे
आप
किसी
भी
राशि
या
लग्न
वाले
हों,
यह
मंत्र
आपको
ग्रहण
जनित
समस्त
दुष्प्रभावों
से
बचाएगा।
यह
कार्यों
में
सिद्धि
और
भगवाण
विष्णु
की
कृपा
प्राप्त
करने
का
मंत्र
है।
ग्रहण
काल
में
इस
मंत्र
की
सिद्धि
हो
जाती
है।
फिर
जीवन
में
जब
भी
किसी
संकट
में
हों
इस
मंत्र
का
जाप
करें
कार्य
जल्दी
होने
लगते
हैं।
बाधाएं
समाप्त
होती
हैं।
अविवाहितों
को
श्रेष्ठ
विवाह
सुख
प्रदान
करता
है
यह
मंत्र।
तीसरा मंत्र
ऊं तत् स्वरूपाय स्वाहा
यह भगवान विष्णु का चमत्कारिक और शीघ्र प्रभाव दिखाने वाला मंत्र है। ग्रहण काल में उत्तर की ओर मुख करके पूजा स्थान में बैठ जाएं। भगवान विष्णु का मानसिक ध्यान करने के बाद तुलसी की माला से इस मंत्र का जाप करें। अपनी क्षमता के अनुसार 5, 11 या 21 माला जाप करें। मंत्र जप के दौरान बीच में बिलकुल न बोलें। ग्रहण के बाद भी इस मंत्र को सुबह या शाम के समय जपें जीवन में समस्त प्रकार की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
चौथा मंत्र
ऊं श्रीं आं ह्रीं सः
यह सौंदर्य लक्ष्मी का मंत्र है। ग्रहण काल में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। मन में महालक्ष्मी का ध्यान करें और मंत्र जप करें। स्फटिक की माला से मंत्र जपें। मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति के आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है। दूसरे व्यक्ति उसकी बात मानने लगते हैं। मान-सम्मान, प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। धन-संपदा में धीरे-धीरे वृद्धि होने लगती है।
पांचवां मंत्र
ऊं तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्रः प्रचोदयात
यह शिव गायत्री मंत्र है। बल, साहस में वृद्धि करने, रोगों का नाश करने और निर्भय बनाने में इस मंत्र का कोई मुकाबला नहीं। इस मंत्र के जप के लिए पूर्व की ओर मुंह करके बैठ जाएं। शिव का मानसिक ध्यान करें और रूद्राक्ष की माला से 5, 11 या 21 माला जाप करें। ग्रहण के दोषों के अलावा इस मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति समस्त प्रकार के रोगों से मुक्त रहता है। परेशानियां उसके पास भी नहीं आती।