ओणम केवल एक पर्व नहीं बल्कि एक भरोसा है, जानिए अनकही बातें...
नई दिल्ली। 4 सिंतबर यानि आज केरल ओणम का त्योहार मना रहा है। राजा महाबली के स्वागत में हर साल ये पर्व मनाया जाता है। ये पर्व गणेश चतुर्थी की तरह 10 दिन तक मनाया जाता है। केरल के साथ-साथ पूरे देश में अलग अलग जगहों पर यह पर्व पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है।
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इस दिन घरों को फूलों से सजाया जाता है। आज से ही केरल में मशहूर नौका-दौड़ शुरू होती है। लोग इस दिन पारंपरिक वेशभूषा में तैयार होकर पूजा करते हैं।
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मान्यता
यह प्राचीन राजा महाबली के याद मे मनाया जाता है। कहते हैं केरल के एक राजा थे जिनका नाम था महाबलि, वो अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे और बहुत बड़े दानी थे। वो कोशिश करते थे कि उनके राज्य में हर कोई खुश रहे इसलिए प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजा करती थी।
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देवताओं को आया गुस्सा
महाबलि की ये लोकप्रियता देवताओं से देखी नहीं गई। राजा इंद्र ने भगवान विष्णु से कहा कि वो महाबलि की परीक्षा लें, विष्णु मान गये और उन्होंने ब्राह्मण वेश धारण करके महाबलि के पास पहुंचकर तीन पग जमीन की मांग की। महाबलि ने तुरंत हां कर दिया और उसके बाद विष्णु ने विराट रूप धारण करके तीन पग नापें, पहले पग में भू-लोक तथा दूसरे पग में स्वर्ग-लोक नाप लिया। तीसरे पग के लिए भूमि कम पड़ गई।
भगवान विष्णु से माफी मांगी
इस पर महबलि के पास कोई चारा नहीं बचा, उन्होंने भगवान विष्णु से माफी मांगी तब विष्णु ने उन्हें पाताल लोक में रहने की सजा दी लेकिन एक वरदान भी दिया जो वो पाताल लोक जाने से पहले मांग सकते थे।
राजा बलि ने वरदान मांगा
राजा बलि अपनी प्रजा को बहुत चाहते थे। अत: उन्होंने वरदान मांगा कि, उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा के सुख- दु:ख को देखने का अवसर मांगा जो भगवान ने दे दिया इसलिए ऐसा माना जाता है कि हर साल श्रवण नक्षत्र यानी ओणम के दिन में राजा बली अपनी प्रजा को देखने आते हैं।
प्रजा सुखी है
इसी कारण राज्य की जनता अपने महाबलि को दिखाने के लिए आज का दिन उत्सव के रूप में मनाती हैं और नाचती-गाती है ताकि उसके राजा को लगे कि उसकी प्रजा सुखी है और उन्हें कोई तकलीफ ना हो।
विष्णु के साथ–साथ महाबलि की पूजा
आज के दिन विष्णु के साथ-साथ महाबलि की पूजा भी होती है। इस दिन घरों को फूलों से सजाया जाता है। आज से ही केरल में मशहूर नौका-दौड़ शुरू होती है। लोग घरों मे पकवान बनाते हैं और खुशियां मनाते हैं।